आजकल उत्तर प्रदेश के विकासखंड क्षेत्र में बड़े मिर्जापुर गांव में शुरू हुई नए और भावनात्मक परंपरा की खूब चर्चा की जा रही है। इस गांव के पति अपनी पत्नी की लम्बी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए व्रत रखते हैं, एक ने शुरू किया और आज पूरे गांव में यह सामुदायिक रिवाज बन गया है। इस व्रत से युवाओं को नई प्रेणना मिल रही है और महिलाओं का सम्मान करके उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

मजाक से शुरू अब गौरव का प्रतीक
इस पंचमी व्रत का आरम्भ कवि और साहित्यकार डॉ. प्रमोद कुशवाहा ने की थी। जब पहली बार यह व्रत रखा गया तो लोगों ने इसे सीरियस न लेकर इसकी हंसी-ठिठोली की। लेकिन जब समाज में महिलाओं को इससे और अधिक सम्मान मिला रो सशक्तिकरण की बातें बढ़ने लगी, युवा नई सोच के साथ इस परम्परा को अपनाने लगे।
जो पुरुष व्रत रख रहें हैं, उनका कहना है कि यह व्रत लेने से पति-पत्नी का रिश्ता और मजबूत बनेगा, इसलिए जरुरी है कि पत्नियों के साथ पुरुषों को भी मंगल कामना की प्रार्थना करनी चाहिए।
परंपरा का विस्तार और इसका महत्व
पंचा साल पहले मिर्जापुर गांव से इस परम्परा की शुरुआत हुई थी और अब यह सफीपुर में ही नहीं बल्कि अन्य कई जनपदों में भी मनाई जा रही है। हर साल इस परम्परा का प्रसार हो रहा है, बड़ी संख्या में पुरुष अपनी पत्नियों के लिए व्रत रख रहें हैं। व्रत समापन सूर्यास्त को किया जाता है, इस दौरान पत्नी अपने पति का व्रत खोलकर उन्हें अपना आशीर्वाद देती है। पत्नी पंचमी व्रत पति-पत्नी के रिश्ते तो समाज में और अटूट और प्यार कर प्रतीक बना रहा है।
व्रत में शामिल थे ये प्रमुख लोग!
पत्नी की लम्बी आयु के लिए कई लोगों ने व्रत रखा था, इसमें डॉ. प्रमोद कुशवाहा, बलराम मिश्र, राजेश शर्मा, शिक्षक उमेश मौर्या, सुधीर मौर्य, रूद्र तिवारी, डॉ. संतोष विश्वकर्मा, प्रधान प्रतिनिधि सुनील कुशवाहा, संजीव कुशवाहा, विमलेश कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, पुत्तन सिंह और अनूप सहित कई लोग शामिल थे।