फरीदाबाद में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून को हल्के में लेने वाले प्राइवेट स्कूलों पर अब शिक्षा विभाग का डंडा चलने वाला है। जो स्कूल अपनी मनमानी कर रहे थे और गरीब बच्चों के हक पर कुंडली मारकर बैठे थे, अब उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ेगा। शिक्षा निदेशालय ने ऐसे स्कूलों पर 30 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का आदेश जारी कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?
शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 के तहत, देश के हर प्राइवेट स्कूल को अपनी एंट्री-लेवल क्लास (जैसे नर्सरी या पहली कक्षा) की 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं । इन सीटों पर दाखिले के लिए सरकार एक ऑनलाइन पोर्टल चलाती है, जिस पर स्कूलों को अपनी सीटों की सही जानकारी देनी होती है।
लेकिन फरीदाबाद और बल्लभगढ़ ब्लॉक के कई प्राइवेट स्कूल इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे थे।
- नहीं दी जानकारी: इन स्कूलों ने न तो RTE पोर्टल पर अपनी 25% सीटों की जानकारी दी।
- दाखिले में आनाकानी: और न ही गरीब बच्चों को दाखिला देने में कोई दिलचस्पी दिखाई।
शिक्षा विभाग का एक्शन मोड
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग अब पूरी तरह से एक्शन मोड (Action Mode) में आ गया है।
- 124 स्कूलों की लिस्ट तैयार: विभाग ने फरीदाबाद और बल्लभगढ़ के ऐसे 124 प्राइवेट स्कूलों की एक लिस्ट तैयार की है, जिन्होंने नियमों का पालन नहीं किया। इनमें शहर के कई नामी स्कूल भी शामिल हैं।
- दो चरणों में होगी कार्रवाई: पहले चरण में इन 124 स्कूलों पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में बचे हुए 176 स्कूलों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
कितना लगेगा जुर्माना?
जुर्माने की रकम स्कूल की फीस के आधार पर तय की गई है:
- जिन स्कूलों की पहली कक्षा की फीस ₹1,000 है, उन पर ₹30,000 का जुर्माना लगेगा।
- जिन स्कूलों की फीस ₹3,000 है, उन पर ₹70,000 का जुर्माना लगेगा।
- और जिन स्कूलों की फीस ₹6,000 है, उन पर ₹1,00,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
शिक्षा विभाग के उप अधीक्षक केशव दत्त ने बताया कि उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद यह कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस सख्त कदम से उम्मीद है कि प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी बंद करेंगे और RTE के तहत गरीब बच्चों को उनका हक देंगे। यह फैसला उन सभी स्कूलों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो सोचते हैं कि वे कानून से ऊपर हैं।