
डेथ सर्टिफिकेट न बनवाने की गलती भारी पड़ सकती है। कई जरूरी काम, जैसे इंश्योरेंस क्लेम या बैंक खाते से पैसे निकालना, इस डॉक्यूमेंट के बिना रुक जाते हैं। अगर आपके परिवार में किसी की मृत्यु हो गई है, तो देरी न करते हुए घर बैठे डेथ सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया समझ लीजिए।
डेथ सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है?
कानूनी या सरकारी कामों में किसी व्यक्ति की मृत्यु को प्रमाणित करने के लिए डेथ सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है। यह सिर्फ एक प्रमाण पत्र नहीं, बल्कि आगे की सारी वित्तीय, संपत्ति और कानूनी प्रक्रिया की नींव होता है। बिना इसके बीमा क्लेम, पेंशन ट्रांसफर या प्रॉपर्टी म्यूटेशन जैसे काम अटक सकते हैं।
इन जगहों पर डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है
- सरकारी योजना या पेंशन लाभ को आगे परिवार के नाम ट्रांसफर करने में
- इंश्योरेंस पॉलिसी का क्लेम जमा करने में
- बैंक एफडी या सेविंग खाते से पैसे निकालने में
- म्यूचुअल फंड या निवेश योजनाओं से राशि प्राप्त करने में
- प्रॉपर्टी ट्रांसफर और विरासत से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाओं में
डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जरूरी दस्तावेज
सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करते समय कुछ आधारभूत दस्तावेज तैयार रखना जरूरी है:
- मृतक का आधार कार्ड और पैन कार्ड
- वोटर्स आईडी या कोई अन्य पहचान पत्र
- राशन कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटो
- सरकारी फॉर्म में भरा हुआ Death Certificate Application Form
- एफिडेविट (अगर मौत का मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है)
घर बैठे डेथ सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया
- ऑनलाइन पोर्टल पर जाएं: राज्य सरकार के नगर निगम या ग्राम पंचायत की आधिकारिक वेबसाइट खोलें।
- नई एप्लिकेशन पर क्लिक करें: “Death Registration” या “Apply Death Certificate” विकल्प चुनें।
- आवेदन विवरण भरें: मृत व्यक्ति की जानकारी, मृत्यु की तारीख और पता दर्ज करें।
- दस्तावेज अपलोड करें: ऊपर बताए सभी आवश्यक दस्तावेज स्कैन कर अपलोड करें।
- फीस जमा करें: ज्यादातर राज्यों में नाममात्र की फीस (10–50 रुपये तक) लगती है।
- सत्यापन प्रक्रिया: आवेदन सबमिट करने के बाद संबंधित अधिकारी द्वारा जांच की जाती है।
- सर्टिफिकेट डाउनलोड करें: 5 से 7 कार्य दिवसों के भीतर प्रमाण पत्र ईमेल या डाउनलोड सेक्शन में उपलब्ध हो जाता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
- मृत्यु के 21 दिनों के भीतर सर्टिफिकेट बनवाना कानूनी रूप से अनिवार्य है।
- अस्पताल में हुई मृत्यु के मामले में वहीं से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
- घर या अन्य स्थान पर हुई मृत्यु की स्थिति में स्थानीय निकाय में सूचना देना आवश्यक है।
- यदि देरी हो जाए, तो लेट रजिस्ट्रेशन के लिए एफिडेविट और अतिरिक्त फीस जमा करनी पड़ती है।