
बैंक में जमा पैसा कितना सुरक्षित है, ये सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है। हम सभी मानते हैं कि बैंक में पैसा रखकर हम पूरी तरह निश्चिंत हो जाते हैं, लेकिन असलियत कुछ अलग है। अगर किसी वजह से आपका बैंक बंद हो जाए या दिवालिया हो जाए, तो भी आपका पूरा पैसा वापस मिलने की गारंटी नहीं होती।
बैंक डिपॉजिट पर सरकार की सुरक्षा सीमा
देश में बैंक खातेदारों की सुरक्षा के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) व्यवस्था लागू है। यह रिज़र्व बैंक की स्वामित्व वाली संस्था है, जो ग्राहकों की जमा राशि को एक निर्धारित सीमा तक इंश्योरेंस कवर प्रदान करती है। वर्तमान नियमों के अनुसार, अगर बैंक वित्तीय संकट में आकर बंद हो जाता है, तो प्रत्येक खातेदार को अधिकतम ₹5 लाख तक की राशि सुरक्षित रूप से लौटाई जाएगी।
पहले यह सीमा ₹1 लाख थी, जिसे हाल में बढ़ाकर ₹5 लाख किया गया है ताकि अधिक ग्राहकों को राहत मिल सके। इसमें बचत खाते, चालू खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट सभी शामिल हैं।
पैसे वापसी का समय
यदि किसी बैंक पर मोरेटोरियम लग जाता है या वह दिवालिया हो जाता है, तो DICGC के नियमों के तहत:
- बैंक को 45 दिन के भीतर खातेदारों का पूरा डेटा DICGC को देना होता है।
- इसके बाद अगले 45 दिन में इंश्योरेंस कवर की राशि खातेदारों को मिल जाती है।
- कुल मिलाकर लगभग 90 दिनों में पैसा वापस हो जाता है।
₹5 लाख से अधिक जमा पर क्या होगा?
अगर आपके बैंक अकाउंट में ₹5 लाख से ज्यादा राशि है और बैंक बंद हो जाता है, तो आपको केवल ₹5 लाख तक ही वापस मिलेगा। उदाहरण के लिए अगर आपने ₹10 लाख जमा किया है, तो बैंक डूबने की स्थिति में आपको केवल ₹5 लाख का ही इंश्योरेंस कवर मिलेगा। अगर आपके दो अलग-अलग बैंकों में पैसे हैं और दोनों बंद हो जाएं, तो दोनों खातों पर अलग-अलग ₹5 लाख की गारंटी मिलेगी।
किन खातों और बैंकों पर लागू?
यह सुरक्षा सुविधा सभी वाणिज्यिक बैंकों, विदेशी बैंकों, ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों पर लागू है। हालांकि, ग्रामीण सहकारी समितियों में जमा राशि पर यह सुविधा नहीं मिलती।
अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका बैंक इंश्योर्ड है या नहीं, तो DICGC की वेबसाइट पर जाकर सूची देख सकते हैं।
सरकारी योजनाओं की सुरक्षा
PPF, NSC या अन्य केंद्र सरकार की बचत योजनाओं में किया गया निवेश पूरी तरह सुरक्षित रहता है, क्योंकि इनकी गारंटी स्वयं भारत सरकार देती