
प्रदेश भर में लाखों राशन कार्डधारक दिसंबर महीने के अपने हक के चावल का इंतजार कर रहे हैं। सरकारी गोदामों में फिलहाल चावल की आपूर्ति नहीं होने से फेयर प्राइस शॉप डीलर्स (सस्ते गल्ले की दुकान संचालक) हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। इस देरी की मुख्य वजह है फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) यानी पोषक तत्वों से भरपूर चावल के दाने, जिनके बिना अब राशन की सप्लाई संभव नहीं है।
क्यों रुक गई सप्लाई?
राइस मिलों ने धान प्रसंस्करण के बाद चावल तैयार कर लिया है, लेकिन उन्हें इसमें मिलाने के लिए जरूरी एफआरके उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
चूंकि केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि राशन के लिए दिया जाने वाला प्रत्येक चावल फोर्टिफाइड होना अनिवार्य है, इसलिए बिना एफआरके मिलाए किसी भी बैच को सरकारी गोदामों में भेजा नहीं जा सकता। यही कारण है कि ताजा चावल का स्टॉक मिलों से आगे बढ़ ही नहीं पाया है।
अब बदला खरीद का तरीका
पहले तक एफआरके की खरीद राज्य सरकार के सप्लायरों के जरिए की जाती थी। लेकिन हाल ही में इसमें बड़ा पॉलिसी चेंज हुआ है। अब एफआरके सीधे उन्हीं यूनिट्स से खरीदा जाएगा जो इसका उत्पादन करते हैं यानी बीच के सप्लायर खत्म कर दिए गए हैं।
नई प्रक्रिया के तहत उत्पादन इकाइयों से सीधे खरीद से पहले एफआरके के सैंपल को केंद्र सरकार की लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। यह क्वालिटी अप्रूवल अनिवार्य है ताकि लोगों को सही पोषण मिले। मगर, इस जांच प्रक्रिया और नई खरीद प्रणाली में समय लग रहा है, जिसकी वजह से चावल की आपूर्ति में देरी हो रही है।
विक्रेता और उपभोक्ता – दोनों परेशान
रानीबाग निवासी राशन डीलर संजय लाल शाह बताते हैं कि गोदामों में स्टॉक खत्म होने के कारण उन्हें नवंबर का चावल भी नहीं मिला पाया।
कुछ इलाकों में विक्रेता एक साथ गेहूं और चावल उठाते हैं, ऐसे में जब चावल नहीं मिला, तो गेहूं वितरण भी रुक गया। इससे गरीब परिवार दो महीने से राशन का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि जिन जिलों में चावल का कुछ पुराना स्टॉक मौजूद था, वहां आंशिक वितरण किया गया, लेकिन अधिकांश जगह स्थिति अब भी जस की तस है।
मध्याह्न भोजन योजना पर भी असर
राशन सिस्टम केवल घरों तक सीमित नहीं है। सरकारी गोदामों से स्कूलों को भी Mid-Day Meal Scheme के लिए चावल जारी किया जाता है। अब जब वहां आपूर्ति रुकी हुई है, तो विद्यालयों में भोजन व्यवस्था प्रभावित हो रही है। कई स्कूलों में स्टॉक खत्म होने से अस्थायी रूप से स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है, लेकिन यह लंबे समय तक टिकाऊ समाधान नहीं है।
जनवरी में एक साथ दो महीने का राशन संभव
ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष रेवाधर बृजवासी ने जानकारी दी कि संगठन ने यह मामला उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाया है। मिली जानकारी के अनुसार, अगर 20 दिसंबर तक चावल की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाती, तो सरकार जनवरी में एक साथ दो महीने का राशन बांटने की अनुमति दे सकती है। इससे कार्डधारकों को राहत जरूर मिलेगी, लेकिन इससे गोदामों और डीलरों पर अतिरिक्त भार भी बढ़ेगा।
क्या है एफआरके और क्यों जरूरी है?
फोर्टिफाइड राइस कर्नेल छोटे कृत्रिम दाने होते हैं जो ऊर्जा और पोषण के लिए आवश्यक तत्वों से तैयार किए जाते हैं। इनमें विटामिन B12, आयरन, फोलिक एसिड और जिंक जैसे न्यूट्रिएंट्स मिलाए जाते हैं। हर एक किलो सामान्य चावल में 10 ग्राम एफआरके अनिवार्य रूप से मिलाया जाता है।
यह मिश्रण Malnutrition और Anemia जैसी समस्याओं से लड़ने का प्रभावी तरीका माना जाता है। कई राज्यों में यह पहल पहले से लागू है और अब पूरे देश में इसे सार्वभौमिक रूप देने की दिशा में सरकार तेजी से बढ़ रही है।
देरी की कीमत जनता चुका रही है
भले ही नीति बदलाव और क्वालिटी टेस्टिंग की प्रक्रिया देशहित में हों, लेकिन इसका सीधा असर उन परिवारों पर पड़ रहा है जिनके पास हर महीने का राशन ही मुख्य सहारा है। ग्रामीण इलाकों में कई घर ऐसे हैं जहां चूल्हा सरकारी गल्ले के अनाज से ही जलता है। अब जबकि दिसंबर आधा बीत चुका है, लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही गोदामों तक चावल पहुंचे और राहत की डिलीवरी शुरू हो सके।









