
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण का मुख्य कारण सड़कों पर डीजल और पेट्रोल वाहनों का बढ़ता दबाव माना है। आयोग का कहना है कि कैब एग्रीगेटर्स और ई-कॉमर्स कंपनियों की सेवाओं में 5 लाख से अधिक डीजल और पेट्रोल कारें चल रही हैं, जिससे क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। आयोग इसे नियंत्रित करने पर जोर दे रहा है।
NCR में डिलीवरी वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर रोक
ऑनलाइन फूड आपूर्ति करने वाली कंपनियों के डिलीवरी वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण हो रहे प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। आयोग के निर्देश पर, एनसीआर (NCR) में आने वाले ज़िलों में 1 जनवरी से पेट्रोल-डीजल से चलने वाले सभी दोपहिया डिलीवरी वाहनों और 3.5 टन तक के चार पहिया कमर्शियल वाहनों (LCVs/LGVs) के पंजीकरण (Registration) पर रोक लगा दी गई है।
1 जनवरी से डीजल-पेट्रोल कमर्शियल वाहनों पर रोक
परिवहन आयुक्त किंजल सिंह के निर्देश पर अब डीजल और पेट्रोल से चलने वाले कमर्शियल वाहनों का संचालन रोकने का आदेश लागू किया जा रहा है। यह नया नियम सभी पुराने और नए उन वाणिज्यिक वाहनों पर लागू होगा जो मोटर वाहन एग्रीगेटर्स (जैसे टैक्सी सेवाएं) और ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर व्यापार करते हैं। इस आदेश को लेकर जनजागरूकता अभियान शुरू कर दिया गया है, और 1 जनवरी के बाद ऐसी कारों और बाइकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए डीज़ल ऑटो पर रोक
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, डीज़ल ऑटो रिक्शा के संचालन पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। इस निर्णय से अकेले मेरठ में लगभग 15 हज़ार ऑटो रिक्शा बंद हो जाएँगे। मेरठ क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण ने ऐसे प्रतिबंधित वाहनों के लिए नए परमिट जारी करने और नवीनीकरण पर भी रोक लगा दी है। डीज़ल ऑटो रिक्शा का संचालन 31 दिसंबर, 2026 तक चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।









