
आगरा में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इस पहल के तहत, किसानों को अपनी पराली खेतों में जलाने के बजाय गोशालाओं तक पहुँचाने पर प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके बदले में किसानों को गोबर की खाद (जैविक खाद) मिलेगी, साथ ही उन्हें परिवहन का खर्च भी दिया जाएगा। इस कदम से न सिर्फ प्रदूषण पर रोक लगेगी, बल्कि क्षेत्र में जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
पराली के बदले किसानों को मिलेगी गोबर खाद
प्रशासन ने जिले की 90 गोशालाओं में रखे लगभग 25 हजार गोवंश से निकलने वाले गोबर के सही इस्तेमाल के लिए एक योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, जो किसान गोशाला तक पराली पहुँचाएँगे, उन्हें न केवल पराली परिवहन का खर्च दिया जाएगा, बल्कि उसके बदले में पशुपालन विभाग उन्हें गोबर देगा। इस पहल से प्रदूषण भी रुकेगा और साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। सभी खंड विकास अधिकारियों और गोशाला संचालकों को इस निर्देश का पालन करने को कहा गया है।
पराली जलाने के नुकसान की जानकारी किसानों तक पहुंचाएं
पराली जलाने से वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, जिससे हवा ज़हरीली होती जा रही है। इसलिए, अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसानों को पराली जलाने से होने वाले गंभीर नुकसान और इसके विकल्पों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दें, ताकि इस समस्या को कम करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा सके।
गोवंश को सर्दी से बचाने में करें इस्तेमाल
सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसान पराली (धान के डंठल) को बिल्कुल न जलाएं। इसी उद्देश्य से, सभी 15 विकास खंड के विकास अधिकारियों और पशु चिकित्साधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे निराश्रित गोवंश (आवारा पशुओं) को सर्दी से बचाने के लिए पराली का उपयोग बिस्तर के रूप में बिछाने में करें, जिससे पराली जलाने की समस्या भी रुकेगी और पशुओं को ठंड से राहत मिलेगी।
राली न जलाएं, बदले में लें गोबर की खाद
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. डीके पांडेय ने किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाएं। इसके बदले में किसानों को गोबर की खाद उपलब्ध कराई जाएगी। उनका कहना है कि इस कदम से प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।









