
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद, राजस्थान की राजधानी जयपुर के सांगानेर क्षेत्र की 86 कॉलोनियों में रहने वाले हज़ारों परिवारों में खलबली मच गई है। कोर्ट ने इन कॉलोनियों को अतिक्रमण (Encroachment) मानते हुए हाउसिंग बोर्ड को इन्हें तुरंत खाली कराने का निर्देश दिया है। इस फ़ैसले से परेशान होकर, सभी कॉलोनीवासी अब इस आदेश को कानूनी रूप से चुनौती देने के लिए एकजुट हो गए हैं।
सांगानेर की 86 कॉलोनियों को हटाने की तैयारी
सांगानेर की 86 कॉलोनियों में लोग कई सालों से रह रहे थे और नगर निगम ने यहाँ बिजली, पानी और सीवरेज जैसी ज़रूरी सुविधाएँ भी दी थी। रकार इन कॉलोनियों को कानूनी रूप से नियमित करना चाहती थी, लेकिन इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें अवैध कब्ज़ा मानते हुए इनके एल॰पी॰सी॰ (LPC) को रद्द कर दिया है।
अलग-अलग कॉलोनी के पदाधिकारी एकजुट हुए
कॉलोनी में बढ़ते डर के माहौल के कारण, अब अलग-अलग कॉलोनी विकास समितियों के पदाधिकारी एकजुट हो गए हैं। आज हुई बैठक में गोविंद नगर, आजाद नगर, अंबिका कॉलोनी, तिरुपति बालाजी नगर, बेरवा कॉलोनी, शशि विहार कॉलोनी, धाकड़ कॉलोनी, गोकुलपुरी, मारुति नगर और रघुनाथ पुरी समेत लगभग एक दर्जन कॉलोनियों के पदाधिकारी और आम नागरिक शामिल हुए।
बैठक में यह फैसला लिया गया है कि सभी लोग मिलकर कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और अपने अधिकारों के लिए अलग-अलग वकीलों की मदद से क़ानूनी लड़ाई लड़ेंगे। इसके अलावा, सरकार को अपनी समस्या से अवगत कराने और मदद मांगने के लिए एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।
कॉलोनी निवासियों ने रखी अपनी बात
कॉलोनी निवासियों का कहना है कि वे कई दशकों से यहाँ रह रहे हैं और सभी बुनियादी सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का अचानक आया यह आदेश उनके लिए चिंता और अनिश्चितता पैदा कर रहा है। विकास समितियों ने स्पष्ट किया है कि वे कानूनी तरीके से अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे और कॉलोनियों में बने घरों को बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास करेंगे।
यह मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन चुका है। उम्मीद है कि कोर्ट के इस आदेश के बाद हाउसिंग बोर्ड और अन्य सरकारी विभाग इसे लागू करने के लिए जल्द ही कदम उठाएँगे। इसलिए, कॉलोनी निवासियों की कानूनी लड़ाई अब भी न्यायालय में जारी रहेगी।








