हाल ही में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू विवाह और महिलाओं के संपत्ति अधिकारों से जुड़ा एक बड़ा बयान दिया है। जस्टिस बी. वी. नागरत्ना कहते हैं कि हजारों सालों से हिन्दू सामाजिक संरचना चली आ रही है और कोर्ट कोई ऐसा फैसला नहीं लेगा जिससे यह संरचना टूट जाए। हर फैसला सबके अधिकारों और कानून देखकर किया जाता है।

कन्यादान और गोत्र बदलने का क्या है महत्व?
कोर्ट में जस्टिस नागरत्ना, कन्यादान शब्द का अर्थ बताते हुए कहते हैं कि यह केवल एक सामान्य रीतिरिवाज नहीं है बल्कि ये एक गोत्र दान होता है। वे कहते हैं कि विवाह के बाद महिला का गोत्र और सरनेम बदल जाता है जो विवाहित महिला की पहचना होता है। जस्टिस का कहना है कि शादी के बाद पति और उसका परिवार विवाहित महिला के लिए जिम्मेदार होता है। यानी की महिला की सभी जिमेदारी इनके ऊपर होती है। भले ही महिला अपने भाई से भरण पोषण की मांग न करें, लेकिन उसे अपनी संपत्ति की वसीयत बनाने का अधिकार होता है।
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निःसंतान विधवा की संपत्ति पर किसका अधिकार?
इन से सम्बंधित कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दी गई हैं। इन सभी याचिकाओं में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15(1)(बी) पर कई सवाल किए गए। बता दें यह धारा उस कानून से जुड़ी है जब एक हिन्दू विधवा महिला की मौत हो जाती है लेकिन उसकी कोई संतान नहीं होती अथवा बिना वसीयत बनाए ही वह गुजर जाती है।
- विवादित प्रावधान- इस कानून के तहत, महिला की मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति पहले उसके पति को दी जाती है। अगर पति के परिवार से कोई भी जीवित नहीं है तो महिला के मायके वालों को सम्पति दी जाती है।
- याचिकाकर्ता की दलील- लेकिन याचिकाकर्ता का वकील इस कानून को गलत बताता है और कहता है कि महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला काम है। इस नियम के कारण ऐसा लगता है कि महिला हमेशा सिर्फ पति की संपत्ति पर निर्भर रहती है।
- सुप्रीम कोर्ट का रुख- अगर महिला की मृत्यु बिना वसीयत किए हो जाती है तो सबसे पहले उसके पति, बेटा अथवा बेटी को उसकी संपत्ति पाने का अधिकार मिलता है। अगर ये जीवित नहीं है तो दूसरी श्रेणी के उत्तराधिकारों को संपत्ति का अधिकार मिलता है।
इस पर कोर्ट कहता है कि क़ानूनी नियमों को चुनौती देना बंद करें, उन्हें पारिवारिक सम्पति के विवाद को आपस में सलाह बातचीत करके सुलझा लेना चाहिए।
याचिका पर क़ानूनी विवाद और चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में एक और मामला आया था, जैसा कि कोरोना में एक युवा दंपति की बिना वसीयत के मृत्यु ही गई थी। अब पति की माँ और पत्नी की माँ के बीच सम्पति के मालिकाना हक से सम्बंधित झगड़ा हो रहा है। पत्नी की माँ का कहना है कि उनकी बेटी की कमाई उन्हें मिलनी चाहिए। अब कोर्ट में इस मामले की सुनवाई नवम्बर में की जाएगी।