
जन्म कुंडली किसी व्यक्ति की जन्म तिथि, समय और स्थान के आधार पर बनाया गया एक ज्योतिषीय चार्ट है, जिससे ग्रहों की चाल और जीवन पर उनके प्रभाव को समझा जाता है। यह चार्ट शादी, करियर और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में संकेत देता है। जहाँ कुछ लोग शादी के लिए कुंडली मिलान को आवश्यक मानते हैं, वहीं कई लोग केवल मन के मिलन को ही काफी समझते हैं। इसी संदर्भ में, वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज से एक महिला ने अपने प्रवचन के दौरान पूछा कि क्या वास्तव में जन्म कुंडली बनाना ज़रूरी है।
विवाह के लिए कुंडली बनवाना क्यों है जरूरी
प्रेमानंद महाराज ने कुंडली बनवाने के विषय पर कहा कि यदि आपको विवाह करना है, तो कुंडली बनवाना ज़रूरी होता है। हालांकि, आजकल के समय में लव मैरिज और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों में लोग गुण-मिलान या कुंडली की उतनी चिंता नहीं करते हैं। फिर भी, उन्होंने सलाह दी कि शास्त्रीय पद्धति और जीवन के सही विचारों के लिए कुंडली अवश्य बनवानी चाहिए, खासकर उन परिवारों को जिनके यहाँ बेटा या बेटी की शादी होनी है।
प्रेममय वैवाहिक जीवन का रहस्य
एक भक्त के सवाल, कि कुंडली मिलने पर भी लड़ाई क्यों होती है, पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि वैवाहिक जीवन में लड़ाइयाँ सद्विचारों से ही बंद होती हैं, कुंडली से नहीं। उन्होंने समझाया कि पति-पत्नी को एक-दूसरे की कमियों को सहन करते हुए प्यार से जीवन जीना चाहिए।
जब पत्नी गुस्सा हो, तो पति को शांत हो जाना चाहिए, और यही बात पत्नी पर भी लागू होती है। महाराज ने जोर दिया कि लड़ने से कोई हल नहीं निकलता और पत्नी की असंतुष्टि को समझना और उसे दूर करना पति का कर्तव्य है। हाथ उठाना राक्षसी व्यवहार है, और खुशी के लिए समझदारी और सद्भाव बहुत ज़रूरी है।









