
जब भी आप फ्यूल भरवाने जाते हैं, तब सिर्फ पैसा ही नहीं, अपनी सुरक्षा और अधिकार भी साथ लेकर चलते हैं। बहुत सारे लोग जल्दी में होते हैं, मोबाइल देखते रहते हैं या किसी से बात करते हुए पेट्रोल भरवा लेते हैं, और यहीं से गेम शुरू हो जाता है। अगर आप दो–तीन बेसिक चीज़ें याद रख लें, तो ज्यादातर फ्रॉड शुरुआत में ही पकड़ा जा सकता है।
सबसे पहला रूल: मीटर हमेशा “0.00” देखें
फ्यूल भरने से पहले अटेंडेंट से साफ बोलें – “पहले मीटर जीरो करो, फिर पेट्रोल चालू करो।”
- मीटर की स्क्रीन पर 0.00 साफ दिखे, तभी गाड़ी में नज़र हटाएँ।
- अगर आपको लगे कि मीटर बीच से ही शुरू हो रहा है या रीसेट किए बिना नोज़ल उठा ली गई है, तो उसी समय आवाज़ उठाएँ और पेट्रोल भरने से मना कर दें।
मीटर की चाल समझें
अक्सर लोग सिर्फ इतना देखते हैं कि 0.00 आ गया, बस अब सब सेफ है। असल ट्रिक तो इसके बाद शुरू होती है।
- जब फ्यूल भरना शुरू हो, तो रीडिंग पर लगातार नज़र रखें।
- नंबर 1, 2, 3, 4 की तरह छोटे-छोटे स्टेप में बढ़ना चाहिए; अगर 0 से सीधा ₹10, ₹15 या ₹100 जैसे बड़े अमाउंट पर जंप करे, तो समझिए कुछ तो गड़बड़ है।
ऐसी स्थिति में तुरंत मशीन रुकवाएँ, अटेंडेंट से जवाब माँगें और ज़रूरत पड़े तो मैनेजर बुलाने की मांग करें।
ध्यान भटकाना भी एक टेक्निक है
कई बार दो–तीन लोग मिलकर फ्रेम तैयार करते हैं – एक आपसे बात करेगा, दूसरा मीटर पर खेल करेगा।
- पेट्रोल भरते समय अगर कोई अटेंडेंट बार–बार बातों में उलझाए, कार्ड/UPI, ऑफर, पॉइंट्स वगैरह से आपका ध्यान हटाए, तो पहले मीटर पर फोकस रखें, बाद में बातचीत करें।
- आप खुद भी मोबाइल, कॉल या चैट से दो मिनट के लिए ब्रेक ले लें, ताकि नज़र पूरी तरह मशीन पर रहे।
हमेशा राउंड फिगर में फ्यूल मत भरवाइए
ज़्यादातर लोग आदत से मजबूर होते हैं – “भैया 500 का लगा दो”, “1000 का पेट्रोल भर दो।”
- कुछ पंप ऐसी फिक्स्ड रकम के लिए मशीन में प्रीसेट हेराफेरी कर लेते हैं, जहाँ अमाउंट तो पूरा कटता है, लेकिन मात्रा थोड़ी कम आती है।
- इस रिस्क को कम करने के लिए कभी-कभी ₹575, ₹640, ₹1120 जैसे odd amount में पेट्रोल भरवाएँ या लीटर में तय करिए (जैसे 7.3 Litre), सिर्फ रुपए में नहीं।
फिगर बदलते रहने से प्री-प्लान्ड सेटिंग्स काम नहीं कर पातीं।
बीच में मीटर रुक जाए तो अलर्ट हो जाएँ
कई बार अटेंडेंट अचानक मशीन रोक देता है – “सर, लाइट गई थी”, “सिस्टम हैंग हो गया”, “गलती से स्टॉप हो गया” – ऐसी बातें आम हैं।
- अगर मीटर बीच में रुककर फिर वहीं से चालू होता है, तो क्वांटिटी में गड़बड़ी की संभावना रहती है।
- ऐसी स्थिति में या तो पूरा ट्रांजैक्शन कैंसल कर के नया सेशन शुरू करने को कहें, या सीधे मैनेजर से बात करके क्वांटिटी चेक की मांग करें।
बार-बार रुकने वाली मशीन पर भरोसा करने से अच्छा है, अगली बार किसी दूसरे पंप पर जाना।
डेंसिटी मीटर
बहुत कम लोग जानते हैं कि पेट्रोल पंप पर एक और महत्वपूर्ण स्क्रीन होती है – डेंसिटी मीटर।
- सामान्य तौर पर पेट्रोल की डेंसिटी लगभग 730–800 kg/m³ के बीच और डीज़ल की डेंसिटी 830–900 kg/m³ के आसपास मानी जाती है।
- अगर डेंसिटी इस रेंज से बहुत बाहर जा रही है, तो फ्यूल में मिलावट या क्वालिटी इश्यू की संभावना मानी जा सकती है।
आपका हक है कि आप अटेंडेंट से डेंसिटी दिखाने के लिए कहें और अगर संदेह हो तो उस पंप से फ्यूल लेने से मना कर दें।
हमेशा रसीद लें
फ्यूल भरने के बाद “चेंज रहने दो” बोलकर चलते बनना आसान होता है, लेकिन ये आदत आपको भविष्य की लड़ाई में कमजोर बना देती है।
- कोशिश करें कि हर बार इलेक्ट्रॉनिक बिल/रसीद लें, जिसमें लीटर, रेट प्रति लीटर, कुल अमाउंट और तारीख-समय साफ लिखा हो।
- UPI या कार्ड पेमेंट करने पर आपके पास बैंक ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड भी रहता है, जो किसी भी विवाद की स्थिति में काम आता है।
रसीद आपके लिए सिर्फ कागज़ नहीं, बल्कि प्रूफ ऑफ एविडेंस है।
शक हो तो तुरंत क्वांटिटी चेक करवाएँ
अगर आपको ज़रा भी लगे कि फ्यूल कम डाला गया है, तो शांत रहकर अपना हक इस्तेमाल करें।
- हर पंप पर 5 लीटर का कैलिब्रेटेड माप वाला कंटेनर होता है, आप उससे क्वांटिटी चेक करने की मांग कर सकते हैं।
- नाप लेने के बाद भी संतुष्टि न हो, तो उसी समय लिखित शिकायत दर्ज कराने के लिए कहें।
शिकायत दर्ज करने के आसान तरीके
सिर्फ बहस करके लौट आने से सिस्टम नहीं बदलेगा, रिकॉर्ड बनना ज़रूरी है।
- पंप पर Complaint Book माँगकर उसमें साफ-साफ अपनी आपत्ति लिखें, तारीख और टाइम नोट करें।
- HPCL, BPCL, Indian Oil जैसी कंपनियों के टोल-फ्री नंबर और ऐप/वेबसाइट के जरिए भी शिकायत दर्ज की जा सकती है; कॉल करते समय रसीद और पंप का नाम अपने पास रखें।
ज़्यादातर मामलों में कंपनियाँ ऐसी शिकायतों को सीरियसली लेती हैं और पंप पर इंस्पेक्शन भी भेजती हैं।









