School Discipline Rules: स्कूल में बच्चे शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं और उनका वह दूसरा सुरक्षित घर माना जाता है। यहाँ पर उनके साथ और टीचर एक परिवार की तरह रहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो आजकल तेजी से वाइरल हो रहा है जिसमें एक टीचर बच्चे को शारीरिक दंड देता है जो कि बहुत ही शर्मनाक बात मानी जा रही है। अभिभावक इस वीडियो को देखकर काफी चिंतित हो रहें हैं, परन्तु आपको गभराने की जरुरत नहीं है क्योंकि भारत सरकार द्वारा बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए हुए हैं। अगर कोई शिक्षक बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित अथवा मारते हैं तो उन पर सख्त कार्यवाई की जाती है। आइए इन कानून के बारे में जानते हैं।

स्कूलों में शारीरिक/मानसिक दंड, क्या है कानून?
भारत में बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान और सजा देना गैरकानूनी माना जाता है। बच्चों को दंड देना बहुत बड़ा अपराध है और यह देश में प्रतिबंधित है।
1. शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009
यह कानून बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, ताकि शारीरिक अथवा मानसिक दंड को रोका जा सके। बच्चे के सम्मान और शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षा का दंड देना नियमों को तोडना होता है।
2. NCPCR के दिशा-निर्देश
स्कूलों में शारीरिक दंड रोकने के लिए, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा कड़े नियम जारी किए गए हैं।
शारीरिक और मानसिक दंड श्रेणी में क्या आता है?
अगर शिक्षा नीचे दिए हुए कोई भी कार्य कराता है तो वह एक दंड माना जाएगा।
शारीरिक दंड
- किसी छात्र को थप्पड़ मारना अथवा कान खींचना।
- बच्चों को घुटनों के बल पर खड़ा करना अथवा जमीन पर बैठना।
- किसी बच्चे से जानबूझकर शारीरिक श्रम करवाने का काम।
मानसिक उत्पीड़न
- बच्चे को सबसे सामने अपमानित अथवा शर्मिंदा करना।
- बच्चे के मन में डर पैदा करना, डराना और धमकाना।
- बच्चे को हमेशा किसी न किसी बात पर ताना दिखाना अथवा नीचा दिखाना।
दंड देने पर शिक्षकों पर होगी आपराधिक कार्यवाई?
अगर कोई भी टीचर इन नियमों को तोड़ता है यानी कि इन नियमों का पालन नहीं करते हैं जिससे बच्चों को शारीरिक और मानसिक कष्ट सहना पड़ता है, तो ऐसा होने पर आपराधिक कार्यवाई की जाएगी।
IPC की धारा 323/325 के तहत शिक्षक पर चोट पहुंचाने और गंभीर चोट पहुंचाने के आरोप लगाए जा सकते हैं। अगर कोई शिक्षा बच्चों के प्रति क्रूर होता है तो किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत उस शिक्षक और संस्थान को कठोर सजा दी जा सकती हैं।