
भारत में संपत्ति को लेकर वाद-विवाद के मामले आए-दिन देखने को मिलते हैं, खासतौर पर तब जब बात माता-पिता के संपत्ति बटवारे की आती है, तो अक्सर देखा जाता है की बेटे के नाम पर पूरी संपत्ति होने के कारण बेटी संपत्ति के अधिकार से वंचित रह जाती है। ऐसे मामले में वह अपने अधिकार के लिए कोर्ट में दावा भी कर सकती है, लेकिन अगर पिता अपनी बेटी के नाम पर ही पूरी संपत्ति कर दें तो क्या ऐसे में बेटा भी कोर्ट में संपत्ति का दावा कर सकता है? चलिए जानते हैं Property Dispute को लेकर कानून से जुडी पूरी जानकारी।
बेटी के नाम पर लिखी संपत्ति की जा सकती है चैलेंज
जब ऐसा कोई मामला सामने आता है जहाँ माता-पिता अपनी पूरी प्रॉपर्टी केवल अपनी बेटी के नाम कर देते हैं, तो ऐसे में बेटे को लग सकता है की अब उसका प्रॉपर्टी पर कोई अधिकार नहीं रह जाता। लेकिन क्या यह सच है की अगर ऐसा होता है तो कोर्ट में इसके खिलाफ बेटा प्रॉपर्टी पर अधिकार के लिए मांग कर सकता है, इसका जवाब है की इस मामले पर फैसला पूरी तरह प्रॉपर्टी के आधार पर निर्भर करता है। यानी प्रॉपर्टी स्व-अर्जित है या पैतृक है इस आधार पर ही कानून संपत्ति पर अधिकार दे सकता है।
संपत्ति अधिकार को लेकर क्या कहता है कानून?
देश में संविधान के अनुछेद 300A कानूनी अधिकार के रूप में सम्पत्ति का अधिकार देता है। ऐसे में कानून साफ कहता है की यदि प्रॉपर्टी पिता की खुद की मेहनत से अर्जित की गई है तो उन्हें पूरा हक है की वह इसे अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकते हैं। यानी अगर पिता अपनी स्व-अर्जित संपत्ति अपनी बेटी के नाम पर करते हैं तो बेटा इस फैसले को कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकता।
हालाँकि यदि पिता की प्रॉपर्टी पैतृक है तो ऐसे मामले में प्रॉपर्टी में हर लीगल वारिस को बराबर का अधिकार मिलता है, यानी पैतृक प्रॉपर्टी पर बेटा कोर्ट पिता के फैसले को कोर्ट में चैलेंज कर सकता है। इससे साफ होता है की केवल पैतृक संपत्ति के मामले में ही कोर्ट में बेटा या बेटी अपने अधिकार के लिए क्लेम कर सकता है वहीं पिता की स्व-अर्जित संपत्ति पर वह खुद से अधिकार की मांग नहीं कर सकते।
