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Property Law Alert: क्या किराएदार आपके मकान पर कर सकता है दावा? एडवर्स पजेशन को लेकर क्या है नया नियम?

क्या आपका किराएदार आपके मकान पर मालिकाना हक (Adverse Possession) का दावा कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इस पर किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए नए नियम जारी किए हैं। जानिए, किन परिस्थितियों में किराएदार का दावा खारिज हो जाता है और आप अपनी संपत्ति कैसे सुरक्षित रख सकते हैं!

By Pinki Negi

Property Law Alert: क्या किराएदार आपके मकान पर कर सकता है दावा? एडवर्स पजेशन को लेकर क्या है नया नियम?
Property Law Alert

देशभर में बड़ी संख्या में लोग किराए पर रहते हैं, जिससे मकान मालिकों के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि क्या कोई किराएदार लंबे समय तक रहने के कारण उस मकान पर मालिकाना हक (Ownership Claim) का दावा कर सकता है? यह एक महत्वपूर्ण कानूनी विषय है। इस संबंध में “एडवर्स पजेशन” (Adverse Possession) के कुछ खास नियम हैं, जिनके तहत कोई व्यक्ति संपत्ति पर दावा कर सकता है, लेकिन किराएदारों के लिए नियम अलग होते हैं। यह जानना ज़रूरी है कि किराएदारी के लिए कानून क्या कहता है।

किराएदार को संपत्ति का मालिकाना हक कब मिल सकता है?

सामान्य तौर पर, एक किराएदार के पास केवल संपत्ति में रहने का अधिकार होता है, मालिक बनने का नहीं। मालिकाना हक तभी मिलता है जब कानूनी तरीके से खरीद और रजिस्ट्री पूरी हो जाए। हालाँकि, कुछ खास और दुर्लभ परिस्थितियों में ‘एडवर्स पजेशन’ (Adverse Possession) का नियम लागू हो सकता है।

यह नियम केवल उन्हीं मामलों में काम करता है जहाँ कोई व्यक्ति लंबे समय तक (आमतौर पर 12 साल) खुले तौर पर, लगातार और बिना किसी रोक-टोक के संपत्ति पर कब्ज़ा बनाए रखता है। यह नियम हर किराएदार पर लागू नहीं होता, बल्कि यह तब लागू होता है जब मालिक उस संपत्ति को लेकर पूरी तरह से लापरवाह रहा हो या लंबे समय तक वहाँ आया-जाया न हो।

एडवर्स पजेशन (Adverse Possession) का नियम

‘एडवर्स पजेशन’ (Adverse Possession) के तहत किसी संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा करने के लिए, किसी भी किराएदार या व्यक्ति को उस संपत्ति पर लगातार 12 साल तक कब्जा बनाए रखना ज़रूरी होता है। इस पूरी अवधि के दौरान, व्यक्ति को उस संपत्ति का उपयोग बिना किसी साझेदारी के, बिल्कुल एक असली मालिक की तरह करना होगा, और सबसे ज़रूरी बात यह है कि मकान मालिक का इस दौरान किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

किराएदार द्वारा संपत्ति पर कब्ज़ा

किराए पर दी गई संपत्ति पर किराएदार द्वारा ‘प्रतिकूल कब्ज़ा’ (Adverse Possession) का दावा तभी किया जा सकता है जब किराए का समझौता (Rent Agreement) समाप्त हो चुका हो और किराएदार का कब्ज़ा मकान मालिक की अनुमति के बिना हो। किराएदार को यह साबित करना पड़ता है कि उसने लंबे समय तक घर को अपनी संपत्ति की तरह इस्तेमाल किया है और मकान मालिक ने उस दौरान संपत्ति पर कोई दावा या हस्तक्षेप नहीं किया है। यह एक जटिल कानूनी प्रक्रिया है।

किरायेदार कब नहीं कर सकता मालिकाना हक का दावा?

कुछ विशेष परिस्थितियों में किरायेदार कभी भी संपत्ति पर मालिकाना हक (Adverse Possession) का दावा नहीं कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि मकान मालिक सेना में कार्यरत है, नाबालिग है, या मानसिक रूप से अस्वस्थ (Mentally Unstable) है, तो कानून मालिक के हितों की विशेष सुरक्षा करता है और किरायेदार के कब्ज़े को वैध दावा नहीं मानता।

इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में एक निर्देश दिया था कि यदि किरायेदार मार्केट रेट पर किराया देने और हर तीन साल में 10% बढ़ोतरी मानने को तैयार है, तो वह कम से कम पाँच साल तक शांतिपूर्ण तरीके से उस संपत्ति में रह सकता है, जिससे किरायेदार और मकान मालिक के बीच संतुलन बना रहे।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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