
आज के समय में दांतों में सड़न या कैविटी होने पर आपको कई तरह की परेशानी हो सकती है, जैसे – दांत में तेज़ दर्द, चबाने में दिक्कत, दांत का रंग काला या भूरा होना और दांत का टूटना। जब कैविटी बहुत ज्यादा हो जाती है, तो बैक्टीरिया दांत की नस तक पहुँचकर और संक्रमण पैदा कर सकती है। जब मुँह में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, तो दांत सड़ने लग जाते है। कई लोग सोचते है कि दातों की सफाई के लिए फिलिंग करवाना जरुरी है, लेकिन ऐसा नहीं है। कैविटी शुरू होते ही इसे रोका जा सकता है और दांतों को मजबूत किया जा सकता है। मशहूर डेंटिस्ट डॉ. एली फिलिप्स ने कुछ आसान तरीके बताए हैं, जिनसे कैविटी को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है।
कैविटी का सबसे बड़ा कारण
दातों में कैविटी होने का सबसे बड़ा कारण चीनी है। हमारे मुँह में रहने वाले बैक्टीरिया चीनी और स्टार्च से एसिड बनाते हैं। ये एसिड धीरे -धीरे हमारे दांतों की ऊपरी परत को ख़त्म कर देते है, जिससे कैविटी हो जाती है। यदि आप दिन भर कुछ न कुछ मीठा या नमकीन स्नैक्स कहते रहते है, तो यह एसिड आपके दांतों पर ज़्यादा देर तक रहता है। इसलिए हो सके मीठा बहुत कम खाएं और खाने के बाद हमेशा ब्रश या माउथवॉश का इस्तेमाल करें।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिए
हमारे मुँह की लार दाँतों के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है। इसमें कुछ ऐसे खनिज होते हैं जो दाँतों के घिसे हुए या कमज़ोर हिस्सों को फिर से ठीक और मज़बूत करते हैं। जब हमारे मुँह में पर्याप्त मात्रा में लार होती है, तो यह बैक्टीरिया द्वारा बनाए गए एसिड के असर को कम कर देती है, जिससे हमारे दाँत सुरक्षित रहते हैं। अगर मुँह सूखा रहता है, तो कैविटी तेज़ी से बढ़ सकती है। इसलिए अपने दातों की सुरक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएँ, ताकि मुँह न सूखे।
ज़ाइलीटॉल वाली च्यूइंग गम
यदि आपका मुँह सूखता है, तो ज़ाइलीटॉल वाली शुगर-फ्री च्यूइंग गम चबाना बहुत फायदेमंद है। ज़ाइलीटॉल एक प्राकृतिक शुगर है, जिसे मुँह के बैक्टीरिया पचा नहीं पाते, जिससे एसिड नहीं बनता है।
दिन में दो बार फ्रेश करें
दातों को मजबूत और साफ़ रखने के लिए सही टूथपेस्ट और माउथवॉश का इस्तेमाल करें। हमेशा ऐसा माउथवॉश चुनें जिसमें ‘सोडियम फ्लोराइड’ होता है। दिन में 2 बार टूथफ्रेश करें। ऐसा करने से कैविटी को शुरुआत में ही रोका जा सकता है।
बार -बार खाना न खाए
कैविटी सिर्फ मीठा खाने से ही नहीं, बल्कि बार-बार खाने से भी होती है। जो लोग हर समय कुछ न कुछ खाते रहते है उनके दातों में जल्दी कैविटी लग जाती है। ऐसा करने से हमारी लार को दाँतों की मरम्मत करने का समय नहीं मिल पाता। इसीलिए, खाने-पीने के बीच में 2 से 3 घंटे का गैप रखना चाहिए।