
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के निजी क्षेत्र (Private Sector) में काम करने वाले कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए श्रम कानूनों में कई अहम बदलाव किए हैं। ये परिवर्तन मुख्य तौर पर ‘दुकान और वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम, 1962’ और ‘यूपी फैक्ट्री अधिनियम’ के तहत लागू किए गए हैं। इनका मकसद कर्मचारियों को एक सुरक्षित, पारदर्शी और संतुलित कार्य वातावरण देना है।
काम के घंटे और ओवरटाइम नियम
नई व्यवस्था के अनुसार, अब एक कर्मचारी से रोजाना अधिकतम 9 घंटे तक काम लिया जा सकता है, जबकि साप्ताहिक कार्य सीमा 48 घंटे ही रखी गई है। यानी कुल साप्ताहिक भार नहीं बढ़ेगा, लेकिन काम के घंटे लचीले होंगे।
अगर कोई कर्मचारी निर्धारित सीमा से अधिक समय तक काम करता है, तो उसे ओवरटाइम के लिए सामान्य वेतन दर से दोगुनी दर पर भुगतान मिलेगा। इसके अलावा, ओवरटाइम की तिमाही सीमा 125 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है, जिससे जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों को अतिरिक्त कमाई का भी अवसर मिलेगा।
आराम और अवकाश की नई व्यवस्था
अब लगातार 5 घंटे काम करने के बाद हर कर्मचारी को कम से कम 30 मिनट का विश्राम अंतराल (Rest Interval) देना अनिवार्य है। छुट्टियों के मामले में, 10 दिन का आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) और 6 महीने की सेवा के बाद 15 दिन का बीमार अवकाश (Sick Leave) निर्धारित किया गया है।
हर सप्ताह एक दिन का साप्ताहिक अवकाश भी जरूरी है। वहीं, राष्ट्रीय अवकाश जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती पर काम करने वाले कर्मचारियों को दोगुनी मजदूरी या एक वैकल्पिक छुट्टी दी जाएगी।
महिलाओं के लिए सुरक्षा और समान अवसर
महिला कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट (शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक) में काम करने की अनुमति दी गई है, लेकिन केवल उनकी लिखित सहमति और सुरक्षा इंतजामों के तहत। इससे महिलाओं को अधिक रोजगार विकल्प मिलेंगे और कार्यस्थल पर समान अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।
नियुक्ति पत्र और जुर्माने के नए प्रावधान
अब नियोक्ता को हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे रोजगार की पारदर्शिता और जॉब सिक्योरिटी बढ़ेगी। नियमों का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं पर सख्ती भी बढ़ाई गई है—पहली बार गलती पर ₹2,000 और दूसरी बार ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।









