
आज के समय गूगल का इस्तेमाल दुनियाभर में अधिकतर जनसंख्या कर रही है, गूगल न केवल अब आम लोगों की बल्कि इंश्योरंस कंपनियों के लिए भी बड़ी जरूरत बन गया है। इंश्योरंस कंपनियों ने अब इंशोयरेंस क्लेम की जांच के लिए गूगल लोकेशन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इससे किसी दुर्घटना में आहत व्यक्ति यदि हॉस्पिटल में इलाज के लिए एडमिट होने पर यदि अपने दस्तावेज भी इंश्योरेंस के लिए जमा करता है तो गूगल लोकेशन सही नहीं होने पर क्लेम रिजेक्ट भी किया जा सकता है।
जी हाँ, अब अधिकतर इंश्योरेंस कंपनियां लोगों के क्लेम इस बात से रिजेक्ट करने लगी हैं की मरीज के गूगल लोकेशन अस्पताल की नहीं होती। ऐसा एक मामला वल्लभ मोटका व्यक्ति का आया है, जिसका क्लेम इस वजह से रिजेक्ट हुआ क्योंकि मरीज की गूगल टाइमलाइन से मरीज की लोकेशन मैच नहीं कर रही थी। जिसके कारण अस्पताल की लोकेशन नहीं होने के चलते क्लेम रिजेक्ट की नौबत आ गई।
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लोकेशन मैच नहीं होने पर हुआ क्लेम रिजेक्ट
बता दें, गूगल लोकेशन को लेकर कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है की क्या वाकई में बीमा कंपनियां बीमा-संबंधी दावों को वेरिफाई करने के लिए किसी व्यक्ति के निजी डिजिटल देता यानी गूगल टाइमलाइन का उपयोग कर सकती है? तो बता दें, वल्लभ मोटका के मामले में वल्लभ ने Go Digit जनरल इंश्योरेंस से 6.5 लाख रूपये की मेडिक्लिम पॉलिसी खरीदी थी और 11 सितम्बर, 2024 को निमोनिया के कारण उन्हें अस्पताल भर्ती किया गया था और 3 दिन बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
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अस्पताल का बिल 48251 रूपये का था, लेकिन कंपनी ने क्लेम देने से यह कहते हुए मना कर दिया की मरीज की गूगल टाइमलाइन अस्पताल की लोकेशन नहीं दिखा रही थी, जिसके कारन क्लेम रिजेक्ट किया गया है। जबकि उनकी पॉलिसी 21 फरवरी, 2025 को एक्सपायर होनी थी। केवल लोकेशन नहीं होने के कारण कंपनी का मानना था की मरीज अस्पताल में था ही नहीं। जिसपर पॉलिसीधारक ने इसकी शिकायत कंज्यूमर फोरम में दर्ज कराई, जहाँ से फोरम ने कंपनी को 48,251 रूपये की दावा राशि के भुगतान का निर्देश दिया है।
क्यों किया कंपनी ने क्लेम रिजेक्ट
Go Digit के क्लेम रिजेक्ट से जुडी पॉलिसी को देखें तो कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक गूगल टाइमलाइन का डेटा सहमति के बाद ही अधिग्रहित किया गया था। लेकिन Go Digit के इस दावे तो खारिज करते हुए फोरम ने वल्लभ द्वारा दिए गए हॉस्पिटल की रिसीप्ट और सर्टिफिकेट को प्रमाण मानते हुए कंपनी को भुगतान के लिए कहा है।
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