नई दिल्ली: किस्त पर स्मार्टफोन खरीदना भारत में बहुत आम है, लेकिन अब लोन चुकाने में लापरवाही आप पर भारी पड़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक ऐसे नए नियम पर विचार कर रहा है, जो बैंकों को यह अधिकार देगा कि अगर कोई ग्राहक समय पर अपनी EMI नहीं चुकाता है, तो वे उसके फोन को दूर से ही लॉक कर सकते हैं। इस कदम का मकसद छोटे पर्सनल लोन से होने वाले फंसे हुए कर्ज (NPA) को कम करना है।

क्यों पड़ी इस नियम की ज़रूरत?
भारत में मोबाइल फोन का बाजार बहुत बड़ा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में एक-तिहाई से ज़्यादा मोबाइल फोन किस्तों पर ही खरीदे जाते हैं। TRAI के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 1.16 बिलियन से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन हैं। इतनी बड़ी संख्या में दिए जाने वाले छोटे-छोटे लोन जब समय पर नहीं चुकाए जाते, तो बैंकों को भारी नुकसान होता है। RBI का यह नया प्रस्ताव इसी समस्या से निपटने और बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित करने के लिए लाया जा रहा है।
पहले भी था यह सिस्टम, तो अब नया क्या है?
दिलचस्प बात यह है कि फोन लॉक करने का यह तरीका नया नहीं है। कुछ समय पहले तक, जब कोई ग्राहक EMI पर फोन खरीदता था, तो उसमें एक विशेष ऐप इंस्टॉल कर दिया जाता था। यह ऐप लोन देने वाली कंपनी को यह अधिकार देता था कि किस्त न चुकाने पर वे फोन को लॉक कर सकें। हालांकि, पिछले साल RBI ने ग्राहकों के अधिकारों का हवाला देते हुए इस प्रैक्टिस पर रोक लगा दी थी।
लेकिन अब, RBI इसे दोबारा कुछ सख्त शर्तों और नए दिशानिर्देशों के साथ लाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में RBI अपने ‘फेयर प्रैक्टिसेज कोड’ को अपडेट करके इन नए नियमों को शामिल कर सकता है।
ग्राहकों की सुरक्षा के लिए क्या हैं शर्तें?
इस बार RBI ने ग्राहकों के हितों और डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखा है। नए नियम के तहत बैंकों को कुछ सख्त शर्तों का पालन करना होगा:
- ग्राहक की पूर्व सहमति: किसी भी फोन को लॉक करने से पहले यह अनिवार्य होगा कि लोन लेते समय ग्राहक ने इसकी स्पष्ट सहमति दी हो। यह शर्त लोन एग्रीमेंट का हिस्सा होगी।
- डेटा की सुरक्षा: यह सबसे महत्वपूर्ण शर्त है। बैंकों या लोन देने वाली कंपनियों को लॉक किए गए फोन से किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत डेटा, जैसे फोटो, कॉन्टैक्ट्स या फाइल्स, तक पहुंचने की सख्त मनाही होगी। उनका अधिकार सिर्फ फोन को लॉक करने तक ही सीमित रहेगा।
यह कदम जहां एक ओर बैंकों को अपने छोटे लोन की वसूली में मदद करेगा, वहीं ग्राहकों पर भी समय पर अपनी किस्त चुकाने का दबाव बनाएगा।