डिजिटल जमाने में भी जब लोग पेट्रोल डलवाते हैं, तो उनके मन में एक सवाल जरूर उठता है “कहीं हमारे पेट्रोल की चोरी तो नहीं हो रही?” कई बार सुनने को मिलता है कि पेट्रोल पंप पर मशीनों को कुछ खास नंबरों पर सेट कर दिया जाता है जिससे कम पेट्रोल दिया जाता है। लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है या यह सिर्फ एक वहम है?

ग्राहकों को होती है शंका, मशीन के नंबरों पर शक
कई लोगों का मानना है कि पेट्रोल पंप पर 100 या 500 जैसे फिक्स नंबरों पर पेट्रोल डलवाने पर मशीन में छेड़छाड़ की जाती है। यानी ग्राहक को पूरा पेट्रोल नहीं मिलता और थोड़ी मात्रा में कटौती कर ली जाती है। इस धारणा ने इतने गहरे घर कर लिए हैं कि लोग अब 100 की जगह 102 या 99 रुपये का पेट्रोल डलवाना पसंद करते हैं।
सेल्समैन की सफाई जितना फीड, उतना पेट्रोल
पेट्रोल पंप के कर्मचारी कमलेश बताते हैं, “आज के डिजिटल युग में मशीनें पूरी तरह से ऑटोमेटेड होती हैं। आप जितने रुपए की फीडिंग करते हैं, मशीन उतने ही रुपए का पेट्रोल देती है। इसमें कोई गड़बड़ी संभव नहीं है।”
कमलेश कहते हैं कि दिनभर में करीब 200 ग्राहक आते हैं, जिनमें से लगभग 100 ग्राहक ऐसे होते हैं जो 100, 99 या 101 रुपये जैसी खास रकम में पेट्रोल डलवाना चाहते हैं। “कुछ लोग तो साफ कहते हैं कि 100 नहीं, 110 का डाल दो, क्योंकि उन्हें लगता है कि 100 पर गड़बड़ी होती है,” उन्होंने बताया।
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परेशान होते हैं कर्मचारी भी
इस भ्रम की वजह से कई बार कर्मचारी खुद परेशान हो जाते हैं। अगर अगला ग्राहक देखता है कि पिछले वाले ने 110 का डलवाया तो वो भी वही मांगता है, बिना वजह। ये एक मानसिकता बन चुकी है.
क्या पहले ऐसा होता था?
कुछ ग्राहक यह भी मानते हैं कि पहले के समय में पेट्रोल पंप पर गड़बड़ियां होती थीं। कुछ जगहों पर सेल्समैन की लापरवाही या चालाकी से पेट्रोल कम दिया जाता था। लेकिन अब मशीनें हाई-टेक हो चुकी हैं और ऑडिट सिस्टम इतना मजबूत है कि छेड़छाड़ करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।
तो क्या है सच?
इस पूरी बातचीत से यह बात तो साफ होती है कि आज के समय में पेट्रोल पंप की मशीनें पूरी तरह डिजिटल और ट्रैक की जाने वाली होती हैं। अगर पेट्रोल कम दिया भी जाए तो तुरंत पता लगाया जा सकता है। ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि हर पेट्रोल पंप पर चोरी होती है। हां, कुछ जगहों पर तकनीकी खराबी या इंसानी गलती हो सकती है, लेकिन वह जानबूझकर नहीं होती।
ग्राहकों की शंका अपनी जगह है लेकिन तकनीक के इस दौर में पेट्रोल चोरी की संभावना बेहद कम है। हां, यदि किसी को शक हो तो वह तुरंत रसीद मांगे और जरूरत पड़े तो संबंधित अधिकारी या उपभोक्ता फोरम से शिकायत भी कर सकता है। भरोसा और जागरूकता दोनों साथ चलें तो न ग्राहक को नुकसान होगा और न पेट्रोल पंप को बदनाम होना पड़ेगा।