High Court Update: अगर आप सरकारी कमर्चारी है तो आपके लिए बड़ी खबर है, जो आपको जाननी बेहद जरुरी है। इलाहबाद हाईकोर्ट ने सरकारी कमर्चारियों से सम्बंधित बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के हित के लिए लिया गया है। अगर किसी कर्मचारी को कोर्ट से सजा मिलती है तो उसे उसकी नौकरी से निकाला नहीं जाएगा। बर्खास्तगी हेतु विभागीय जाँच की जाएगी। आइए इस पूरी जानकारी को विस्तार से जानते हैं।

सरकारी कर्मचारियों के अधिकार क्या है?
1. सीधे बर्खास्तगी पर लगी रोक
इलाहबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है, कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी मामले में दोषी पाया जाता है अथवा उसे सजा मिलती है तो उसे सीधे ही उसके पद से निष्काषित नहीं किया जाएगा। इसके लिए सबसे पहले विभागीय जाँच की जाएगी। इसके बाद ही आगे का फैसला किया जाएगा।
2. संविधान के अनुच्छेद 311(2) का महत्व
हाई कोर्ट ने सरकारी नौकरी की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है। हाई कोर्ट अपनी बात समझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का सहारा लेता है। संविधान का अनुच्छेद 311(2) सरकारी कमर्चारियों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। इस अनुच्छेद के तहत किसी भी कर्मचारी को बिना जाँच प्रक्रिया के सीधे नौकरी से निकाला नहीं जा सकता है या फिर उसके पद को घटाया नहीं जाएगा।
कमर्चारियों के साथ कोई भी अन्याय नहीं होना चाहिए, चाहे होने पर कैसा भी आरोप क्यों न लगा हो। उन्हें भी अपनी बात रखने का एक अवसर मिलना चाहिए।
यह भी देखें- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ससुर के मकान पर बहू का हक नहीं’ कोर्ट ने खारिज की महिला की याचिका
सहायक अध्यापक का मामला
बता दें कोर्ट ने यह फैसला ऐसे ही नहीं लिया है बल्कि इसके पीछे एक अध्यापक का मामला है। एक सहायक अध्यापक था जिसे दहेज़ हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा मिली थी, इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उन्हें उनके पद से निष्काषित कर दिया था।
लेकिन अब हाईकोर्ट ने BAS के बर्खास्तगी आदेश को कैंसिल कर दिया है। अब विभागीय जाँच की जाएगी जिसके बाद BAS को दो महीने के अंदर फिर से आदेश पारित करने का निर्देश दिए गया है।