देश में रोजाना पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी किए जाते हैं, और अक्सर इनके दाम कभी भी एक जैसे नहीं रहते हैं हर दिन घटते और बढ़ते रहते हैं। लेकिन जब ईंधन के दाम बढ़ते हैं तो आम लोगों के ऊपर खर्चे का और अधिक भारी बोझ बढ़ जाता है। अगर सरकार पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के दायरे में शामिल कर लिया जाए तो इससे आम जनता कोई कितनी राहत मिलने वाली है। एक्सपर्ट को उम्मीद है कि ऐसा होने पर कीमत में 25 रूपए प्रति लीटर की कमी आ सकती है। आइए जानते हैं क्या यह बदलाव केंद्र सरकार करने वाली है या नहीं।

GST में क्यों शामिल नहीं पेट्रोल-डीजल
बता दें केंद्र सरकार और राज्य सरकारें, पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर अपनी कमाई करती है। केंद्र सरकार उत्पादन शुल्क और राज्य सरकारे वैट लगाती हैं। अगर ये जीएसटी के दायरे में आ जाते हैं तो राज्य सरकारों के राजस्व का बड़ा नुकसान हो सकता है, इसलिए वे इसका जमकर विरोध करेंगे।
GST के दायरे में आने पर क्या होगा?
अगर सरकार ईंधन को GST के अधिकतम 28% स्लैब में शामिल कर देती है तो इसमें प्रति लीटर में 15 से 25 रुपए की कमी हो सकती है। यह मौजूदा टैक्स दरों के मुकाबले बताया जा रहा है। इससे आम आदमी की जेब से कम खर्चा होगा और उसे महंगाई में राहत मिलेगी।
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सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
सबसे बड़ी परेशानी तो ये आ रही है कि राज्य सरकार इस फैसले का कड़ा विरोध कर रही हैं। अगर फैसला लागू होता है तो वे GST में आने पर अलग से वैट नहीं लगा पाएगी और उनके राजस्व का बड़ा नुकसान हो सकता है, उनके लिए सबसे बड़ा डर यही है।
जब तक इस फैसले के लिए सभी राज्यों की सहमति नहीं मिल जाती है तब तक GST के दायरे में ईंधन नहीं आएगा। यह तब ही हो पाएगा जब राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई की गारंटी नहीं मिल जाती है।