केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। सरकार ने 7वें वेतन आयोग के तहत मिलने वाले एक अहम भत्ते, ड्रेस अलाउंस (Dress Allowance), के नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है। इस बदलाव से उन कर्मचारियों को सीधा फायदा होगा जो या तो नई नौकरी ज्वाइन कर रहे हैं या फिर साल के बीच में रिटायर हो रहे हैं।

क्या है यह नया नियम?
अब तक ड्रेस अलाउंस को लेकर एक कन्फ्यूजन बना रहता था, खासकर उन लोगों के लिए जो पूरे साल नौकरी में नहीं रहते थे। लेकिन अब सरकार ने इस नियम को बिल्कुल साफ कर दिया है।
नए नियम के मुताबिक, 1 जुलाई 2025 के बाद नौकरी ज्वाइन करने वाले या साल के बीच में रिटायर होने वाले कर्मचारियों को अब आनुपातिक (proportional) आधार पर ड्रेस भत्ता मिलेगा। इसका मतलब है कि आपने साल में जितने महीने नौकरी की है, आपको उतने ही महीनों के हिसाब से ड्रेस अलाउंस का पैसा मिलेगा। पहले ऐसा नहीं था, जिससे कई कर्मचारियों को या तो पूरा भत्ता नहीं मिलता था या फिर इसे लेकर उलझन बनी रहती थी।
क्या होता है ड्रेस अलाउंस?
ड्रेस अलाउंस उन सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है, जिन्हें ड्यूटी के दौरान एक खास यूनिफॉर्म पहननी होती है। 2017 में 7वें वेतन आयोग के तहत सरकार ने कई छोटे-छोटे भत्तों को मिलाकर एक सिंगल ड्रेस अलाउंस बना दिया था। इसमें शामिल हैं:
- कपड़े खरीदने का भत्ता (Clothing Allowance)
- यूनिफॉर्म के रखरखाव का भत्ता (Maintenance Allowance)
- जूतों का भत्ता (Shoe Allowance)
किसे और कैसे मिलेगा फायदा?
इस नए नियम से दो तरह के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा राहत मिली है:
- नए कर्मचारी: जो लोग साल के बीच में नौकरी ज्वाइन करते हैं, उन्हें अब ज्वाइनिंग की तारीख से साल के अंत तक के समय के लिए ड्रेस अलाउंस मिल जाएगा।
- रिटायर होने वाले कर्मचारी: इसी तरह, जो कर्मचारी साल के बीच में रिटायर हो रहे हैं, उन्हें भी नौकरी के आखिरी दिन तक के लिए प्रोपोर्शनल भत्ता मिलेगा।
रिकवरी और पेमेंट पर भी स्पष्टता
यह भत्ता आमतौर पर जुलाई महीने की सैलरी के साथ दिया जाता है। इस साल जो कर्मचारी रिटायर हुए हैं, उनमें से कुछ को पहले ही पूरा या आधा भत्ता मिल चुका है।
- सरकार ने साफ किया है कि 30 सितंबर 2025 से पहले रिटायर हो चुके कर्मचारियों से कोई रिकवरी (वसूली) नहीं की जाएगी।
- हालांकि, जो कर्मचारी अक्टूबर 2025 से रिटायर होंगे, उनसे जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त भुगतान की गई राशि वापस ली जा सकती है।
यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक राहत भरी खबर है, क्योंकि अब उन्हें अपने हक के पैसे के लिए किसी भी तरह की उलझन का सामना नहीं करना पड़ेगा। सब कुछ पारदर्शी और नियम के मुताबिक होगा।