
दिल्ली में कक्षा 1 (क्लास-1) में एडमिशन के लिए बच्चों की न्यूनतम आयु 6 साल तय करने का मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुँच गया है। दिल्ली सरकार ने जून 2025 में एक सर्कुलर जारी कर यह नियम लागू किया था, जिसे अब एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि इस नियम से छात्रों को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। चूंकि अभिभावक दिसंबर से शुरू होने वाली एडमिशन प्रक्रिया की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए इस मामले पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से 13 दिन के अंदर जवाब माँगा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय की बेंच ने एक मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब दाखिल करने को कहा है। दिल्ली सरकार के वकील ने जवाब तैयार करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। इसके बाद, हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 नवंबर की तारीख तय कर दी है।
क्लास 1 में 6 साल की आयु सीमा से माता-पिता को नुकसान
दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें यह तर्क दिया गया है कि पहली क्लास में एडमिशन के लिए 6 साल की न्यूनतम आयु सीमा तय करने से माता-पिता पर दोहरी मार पड़ रही है। याचिका में बताया गया है कि इस नियम के कारण बच्चों को क्लास 1 से पहले प्री-स्कूल में एक साल अतिरिक्त पढ़ना अनिवार्य हो जाता है, जिससे उनकी फीस का बोझ बढ़ जाता है। इसके अलावा, सीमित संख्या में सीटें होने के कारण, बच्चों को सीधे पहली क्लास में दाखिला मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
नई उम्र सीमा से बच्चों को क्लास रिपीट करनी होगी
स्कूलों में लागू किए गए नए आयु सीमा मानदंड (New Age Limit Criteria) के कारण उन बच्चों को अपनी क्लास दोहरानी (Repeat) पड़ सकती है, जिन्होंने पहले ही एडमिशन ले लिया था। चूँकि यह नया नियम शैक्षणिक सत्र 2025 से लागू हो गया है, इसलिए जो छात्र पहली कक्षा में जाने वाले थे, उन्हें नए नियम के कारण फिर से प्री-स्कूल में पढ़ना होगा। इसी प्रकार, नर्सरी से अगली क्लास में प्रमोट होने वाले बच्चों को भी नए सिरे से नर्सरी क्लास में जाना पड़ सकता है।
नई एडमिशन पॉलिसी पर सवाल
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि अगर सरकार कोई नया सर्कुलर जारी कर रही है, तो उसे तुरंत (2025 शैक्षणिक वर्ष) लागू न किया जाए, बल्कि यह शैक्षणिक वर्ष 2026-2027 से नए दाखिलों पर प्रभावी होना चाहिए। याचिका में चिंता जताई गई है कि अगर इस नियम को इसी साल लागू किया गया, तो वर्तमान में पहली कक्षा में जाने वाले कई बच्चे (जिनकी उम्र 6 साल से कम होगी) प्रमोट नहीं हो पाएंगे और उन्हें एक और साल प्रीस्कूल में ही रहना पड़ेगा। इससे आशंका है कि इस साल पहली कक्षा की कई सीटें खाली रह सकती हैं।
नर्सरी एडमिशन की उम्र 3 से बढ़ाकर 4 साल करने की सलाह
एक याचिका में सुझाव दिया गया है कि नर्सरी क्लास में दाखिले की न्यूनतम उम्र को 3 साल से बढ़ाकर 4 साल या उससे अधिक कर देना चाहिए। इसके तहत, प्री-स्कूल 1 के लिए 4+ साल, प्री-स्कूल 2 के लिए 5+ साल और कक्षा 1 के लिए 6+ साल की उम्र तय करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि अगर यह बदलाव शैक्षणिक वर्ष 2026-2027 से लागू नहीं किया गया, तो पहले से प्री-स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को दोबारा प्री-स्कूल में एडमिशन लेना पड़ सकता है, जिससे माता-पिता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
प्राइवेट स्कूलों की भारी फीस पर चिंता
याचिकाकर्ता ने केवल आयु सीमा ही नहीं, बल्कि निजी स्कूलों की बहुत ज्यादा फीस को लेकर भी चिंता जताई है। याचिका में बताया गया है कि कई प्राइवेट स्कूलों में एक तिमाही (तीन महीने) की फीस लगभग ₹60,000 है। इस हिसाब से, सालाना फीस करीब ₹2.40 लाख तक पहुँच जाती है, जो आम जनता के लिए बहुत बड़ा बोझ है और उनकी पहुँच से बाहर है।








