
बताया जा रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चीनी की कीमतें मार्च 2021 के बाद लगातार नीचे गिर रही है। इस गिरावट का मुख्य कारण प्रमुख उत्पादक देशों में चीनी की उत्पादन वृद्धि हो सकती है। ब्राजील में उत्पादन काफी बढ़ गया है, मिड अगस्त तक यह 18% तक बढ़ गया है, क्योंकि UNICA के अनुसार गन्ने का एक बड़ा हिस्सा (54.20%) अब चीनी उत्पादन में इस्तेमाल हो रहा है।
इसके अलावा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत और थाईलैंड में भी उत्पादन बढ़ सकता है, जिससे भारत 4 मिलियन टन तक चीनी का निर्यात कर सकता है। चीनी का उत्पादन आधी होने कारण अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चीनी सस्ती हो रही है।
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उतार-चढ़ाव
इस समय अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चीनी की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है। पिछले एक हफ़्ते में चीनी के दाम 1% बढ़े हैं, वहीँ एक महीने में 4 % की गिरावट आयी है। देखा जाएं तो चीनी में काफी समय से गिरावट आ रही है। जनवरी 2025 से अब तक इसकी कीमतें 19% कम हो चुकी हैं, और पिछले तीन सालों में तो यह 33% तक सस्ती हुई है।
सरकार ने सेकेंड जेनरेशन (2G) इथेनॉल के निर्यात को दी मंजूरी
हाल ही में सरकार ने सेकेंड जेनरेशन (2G) इथेनॉल के निर्यात (एक्सपोर्ट) को मंजूरी दे दी है। यह 2G इथेनॉल गन्ने की खोई, लकड़ी के कचरे, और कृषि व जंगल के बचे हुए अवशेषों से तैयार होता है। इसका निर्यात ईंधन और अन्य कामों के लिए किया जा सकता है। 2G इथेनॉल से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होता है, यह ग्रीनहाउस गैसों को घटाने में मदद करता है, और खेत की उपजाऊ शक्ति को नुकसान भी नहीं पहुँचाता है। निर्यात करने के लिए, कंपनियों के पास वैध परमिट और कच्चे माल का सर्टिफिकेट होना ज़रूरी है।
3 से 4 फीसदी तक बढ़ सकती है चीनी की माँग
AISTA के चेयरमैन प्रफुल विठलानी ने बताया कि दुनिया में उत्पादन लागत कम होने के वजह से चीनी की कीमतों में गिरावट आई है। इसलिए अब कीमतों में ज्यादा कमी आने की उम्मीद नहीं है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले छह महीनों तक चीनी के दाम एक सीमित सीमा में ही रहेंगे। अच्छी खबर यह है कि GST दरों में कटौती होने से अगले सीजन में चीनी की माँग 3 से 4 फीसदी बढ़ सकती है।