
बेंगलुरु में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के प्रायोरिटी बैंकिंग यूनिट में वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा मामला सामने आया है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब एक ग्राहक ने नवंबर में शिकायत की कि उसके खाते से 2.7 करोड़ रुपये गायब हो गए हैं। प्रारंभिक जांच के बाद बैंक को शक हुआ कि यह धोखाधड़ी सिर्फ एक ग्राहक तक सीमित नहीं है। अब जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है और 80 करोड़ रुपये तक के फंड में हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है।
राज्य सरकार ने CID को सौंपी जांच
कर्नाटक सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बेंगलुरु पुलिस के बजाय राज्य की सीआईडी (CID) को जांच सौंपी है। अधिकारियों के अनुसार, जब किसी वित्तीय अनियमितता की राशि 5 करोड़ रुपये से अधिक होती है तो इसकी जांच उसी स्तर की एजेंसी द्वारा की जाती है। बैंक की ओर से भी पुष्टि की गई है कि इस फ्रॉड से जुड़े तथ्यों की गहराई से जांच की जा रही है।
बैंक का बयान: ‘ग्राहकों के हित सर्वोपरि’
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि ग्राहकों के हित बैंक की पहली प्राथमिकता हैं। बैंक ने बेंगलुरु शाखा के एक कर्मचारी द्वारा की गई अनियमितताओं का पता चलते ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त किया गया। बैंक का कहना है कि वह जांच एजेंसियों को पूरी तरह सहयोग दे रहा है।
PwC को सौंपी गई आंतरिक जांच
सूत्रों के मुताबिक, बैंक ने एक प्रारंभिक आंतरिक जांच के बाद वैश्विक ऑडिटिंग फर्म पीडब्ल्यूसी (PwC) को विस्तृत जांच की जिम्मेदारी दी है। दो हफ्ते पहले की रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया। प्रभावित ग्राहकों से संपर्क किया जा रहा है ताकि फर्जी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) खातों की पहचान की जा सके।
रिलेशनशिप मैनेजर गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले के मुख्य आरोपी रिलेशनशिप मैनेजर नक्का किशोर कुमार (40) को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। जांच में सामने आया है कि आरोपी ने ग्राहकों के चेक लेकर नकली हस्ताक्षर किए और एफडी बनाने के नाम पर पैसे को तीसरे पक्ष के खातों में ट्रांसफर कर दिया। कई ग्राहकों ने बताया कि उन्हें नकली एफडी बांड दिए गए थे।
ग्राहकों को नुकसान की भरपाई का वादा
बैंक ने भरोसा दिलाया है कि किसी ग्राहक को आर्थिक नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। सभी प्रभावित ग्राहकों को नुकसान की भरपाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, इस धोखाधड़ी में कई हाई-नेटवर्थ व्यक्तियों (HNI) के खाते प्रभावित हुए हैं, जिनमें प्रमुख कारोबारी परिवार भी शामिल हैं।
15 साल पुरानी सिटीबैंक धोखाधड़ी जैसा पैटर्न
इस घटना के जांचकर्ताओं का कहना है कि फंड डायवर्जन का तरीका गुरुग्राम में करीब 15 साल पहले सिटीबैंक की वेल्थ मैनेजमेंट यूनिट में हुए फ्रॉड से मिलता-जुलता है। वहाँ भी ग्राहकों की एफडी राशि को ट्रांसफर कर निजी खातों में भेजा गया था।
फिलहाल क्या है स्थिति
बेंगलुरु की एमजी रोड शाखा में अब विस्तृत जांच चल रही है। पुलिस और PwC दोनों अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। बैंक की ओर से जांच एजेंसियों को सभी आवश्यक डाटा और डॉक्युमेंट मुहैया कराए जा रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में इस वित्तीय घोटाले की वास्तविक सूरत सामने आ जाएगी।









