
गरीबों को मिलने वाले मुफ्त चावल की व्यवस्था पर सरकार भारी भरकम खर्च करती है। एक किलो चावल को खरीदकर, सुरक्षित रखने और लोगों तक पहुँचाने में करीब ₹40 का खर्च आता है, जो आम जनता के टैक्स के पैसे से आता है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 में सही रखरखाव और ढुलाई में कमी के कारण करीब 53,000 टन अनाज खराब हो गया। चावल की क्वालिटी और इस तरह हो रही बर्बादी से न केवल सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है, बल्कि सरकारी राशन व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।
राशन की जगह सीधे बैंक खाते में आएगा पैसा
राशन वितरण प्रणाली में होने वाली गड़बड़ी और अनाज की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार अब ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ (DBT) पर विचार कर रही है। इस योजना के तहत, सरकार अनाज पर खर्च होने वाला पैसा सीधे गरीबों के बैंक खातों में जमा करेगी। इससे 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को यह आजादी मिलेगी कि वे अपनी पसंद का अच्छी क्वालिटी का अनाज बाजार से खुद खरीद सकें। इस कदम से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि राशन वितरण का पूरा सिस्टम अधिक पारदर्शी और बेहतर हो जाएगा।
खाने-पीने की सब्सिडी पर सरकार का भारी खर्च
आम जनता को राशन की दुकानों पर जो अनाज मिलता है, उसे वहां तक पहुँचाने में सरकार को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। अनाज की खरीद, स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और ब्याज जैसे खर्चों को मिलाकर एक किलो अनाज की लागत ₹28 से ₹40 तक आती है। वित्त वर्ष 2024-25 के अनुमान के मुताबिक, सरकार को एक किलो चावल पर ₹39.75 और गेहूं पर ₹27.74 का खर्च उठाना पड़ रहा है। यही वजह है कि देशभर में खाने-पीने की सब्सिडी का कुल बजट ₹2.05 लाख करोड़ के भारी-भरकम स्तर तक पहुँच गया है।
करोड़ों का अनाज हो रहा बेकार
सरकारी राशन वितरण प्रणाली में बड़ी कमियाँ सामने आ रही हैं, जिसके कारण भारी खर्च के बावजूद जरूरतमंदों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 28 प्रतिशत सस्ता अनाज यानी करीब 20 मिलियन टन राशन या तो चोरी हो जाता है या खराब हो जाता है, जिससे सरकार को सालाना ₹69,108 करोड़ का भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। एफसीआई (FCI) के आंकड़ों के मुताबिक, हजारों टन अनाज गोदामों में रखे-रखे और ढुलाई के दौरान ही बर्बाद हो जाता है, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
अब अनाज के बदले सीधे बैंक खाते में आएंगे पैसे
राशन वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञ अब अनाज के बदले सीधे बैंक खाते में पैसे (Direct Benefit Transfer) भेजने को एक बेहतर विकल्प मान रहे हैं। इससे बिचौलियों का दखल खत्म होगा और अनाज की कालाबाजारी और खराब क्वालिटी जैसी समस्याएँ दूर होंगी। कर्नाटक की ‘अन्न भाग्य’ योजना इसका सफल उदाहरण है, जहाँ लोग सरकारी पैसे से अपनी पसंद का पौष्टिक खाना बाजार से खरीद पा रहे हैं। इस सिस्टम से सरकार को अनाज के रख-रखाव और ढुलाई पर होने वाले भारी खर्च की बचत होती है और गाँवों के स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलता है।
सरकार ला सकती है नया विकल्प
राशन वितरण प्रणाली में बड़े बदलाव पर विचार किया जा रहा है, जिसके तहत लाभार्थियों को अनाज के बजाय सीधे बैंक खाते में पैसे देने का विकल्प मिल सकता है। सरकार इसे धीरे-धीरे लागू कर सकती है, जिसमें अगले 12 से 18 महीनों तक लोगों को यह चुनने की आजादी होगी कि उन्हें राशन चाहिए या नकद राशि। जहाँ बैंकिंग सुविधा कम है, वहां अनाज के कूपन दिए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक किलो अनाज की कीमत 40 रुपये मानी जाए, तो 5 सदस्यों वाले परिवार को 25 किलो अनाज के बदले हर महीने करीब 1,000 रुपये मिल सकते हैं। यह राशि महंगाई के हिसाब से समय-समय पर बढ़ाई भी जाएगी।
डिजिटल तकनीक से सुधरेगा राशन सिस्टम
भोजन की सुरक्षा का असली अर्थ केवल भूख मिटाना नहीं, बल्कि हर गरीब को सम्मान के साथ पौष्टिक खाना उपलब्ध कराना है। यदि हम राशन वितरण में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करें, तो भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची को पूरी तरह रोका जा सकता है। इससे न केवल सरकारी पैसा बचेगा, बल्कि कुपोषण जैसी समस्याओं से भी निपटने में मदद मिलेगी। असली न्याय तभी होगा जब सब्सिडी का लाभ सीधे जरूरतमंदों तक पहुंचेगा, जिससे उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाला अनाज और एक बेहतर जीवन मिल सके।
राशन की जगह कैश मिलने के फायदे
सरकार अगर राशन के बदले सीधे बैंक खाते में पैसे (Direct Benefit Transfer) भेजती है, तो इसके कई बड़े फायदे होंगे। इससे राशन की चोरी और फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी और सरकार का अनाज ढोने व गोदामों का खर्च भी बचेगा। सबसे अच्छी बात यह है कि लोग अपनी पसंद का बेहतर अनाज बाजार से खरीद सकेंगे। हालांकि, इस व्यवस्था में कुछ मुश्किलें भी हैं, जैसे दूरदराज के इलाकों में बैंकों की कमी और बाजार में अनाज महंगा होने पर मिलने वाली रकम का कम पड़ना। साथ ही, यह डर भी बना रहता है कि कहीं लोग इन पैसों का इस्तेमाल अनाज की जगह अन्य चीजों पर न कर दें।









