
भारत सरकार ने हाल ही में रणबीर नहर (Ranbir Canal) परियोजना के विस्तार की योजना की घोषणा की है, जिसके तहत इस नहर की लंबाई को वर्तमान 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर किया जाएगा। यह निर्णय सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने के बाद लिया गया है, जिसका उद्देश्य भारत के हिस्से के जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग करना है।
इस विस्तार से भारत चिनाब नदी (Chenab River) से प्रति सेकंड 150 क्यूबिक मीटर पानी डायवर्ट कर सकेगा, जो वर्तमान में 40 क्यूबिक मीटर है। इससे जम्मू-कश्मीर के कृषि क्षेत्रों को अधिक सिंचाई सुविधा मिलेगी, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई है, क्योंकि उसे लगता है कि यह सिंधु जल संधि का उल्लंघन है और उसके हिस्से का पानी प्रभावित होगा।
सिंधु जल संधि और भारत की नई रणनीति
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकांश पानी पाकिस्तान को दिया गया था, जबकि भारत को सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का अधिकार मिला था। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित कर दिया है और अपने हिस्से के जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
तुलबुल परियोजना और पाकिस्तान की आपत्तियाँ
रणबीर नहर के साथ-साथ भारत ने झेलम नदी पर तुलबुल परियोजना (Tulbul Project) को फिर से शुरू करने की योजना बनाई है। यह परियोजना वुलर झील के मुहाने पर एक बैराज के निर्माण से संबंधित है, जिसका उद्देश्य झेलम नदी के बहाव को नियंत्रित करना और नौवहन को आसान बनाना है। पाकिस्तान इस परियोजना का विरोध करता रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि यह सिंधु जल संधि का उल्लंघन है और उसके हिस्से का पानी प्रभावित होगा।
भारत की ऊर्जा आवश्यकताएं और जल संसाधनों का उपयोग
भारत सरकार ने जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए रणबीर नहर के विस्तार के साथ-साथ जल विद्युत परियोजनाओं की क्षमता को बढ़ाने की योजना बनाई है। वर्तमान में भारत की जल विद्युत क्षमता लगभग 3000 मेगावाट है, जिसे बढ़ाकर 12000 मेगावाट करने की योजना है। इसके लिए चिनाब और झेलम नदियों पर नई परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है।
पाकिस्तान की आपत्तियाँ और भारत का रुख
पाकिस्तान ने भारत की इन योजनाओं पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि यदि भारत उसके हिस्से का पानी रोकता है, तो इसे युद्ध की कार्यवाही माना जाएगा। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने हिस्से के जल संसाधनों का उपयोग कर रहा है और सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन के कारण लिया गया है।