ISRO का 101वां मिशन असफल: PSLV-C61 तीसरे चरण में फेल, EOS-09 सैटेलाइट तय कक्षा में नहीं पहुंचा

ISRO का बहुप्रतीक्षित 101वां मिशन PSLV-C61 लॉन्च होते ही असफल हो गया। EOS-09 सैटेलाइट देश की सुरक्षा और निगरानी के लिए बेहद अहम था, लेकिन रॉकेट तीसरे चरण में तकनीकी गड़बड़ी के कारण मिशन अधूरा रह गया। जानिए क्यों था ये मिशन खास, क्या होगा अब अगला कदम, और क्या बोले ISRO प्रमुख।

By GyanOK

श्रीहरिकोटा (ISRO Mission News): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को साल 2025 में एक बड़ा झटका लगा है। ISRO का 101वां मिशन PSLV-C61 शनिवार सुबह लॉन्च होने के कुछ ही समय बाद तकनीकी बाधा के कारण असफल हो गया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह प्रक्षेपण सुबह 5:59 बजे किया गया था।

ISRO का 101वां मिशन असफल: PSLV-C61 तीसरे चरण में फेल, EOS-09 सैटेलाइट तय कक्षा में नहीं पहुंचा a rocket launching with smoke and flames

ISRO चीफ वी. नारायणन ने इस मिशन की असफलता की पुष्टि करते हुए बताया कि रॉकेट ने शुरुआती दो चरण सफलता से पार किए, लेकिन तीसरे चरण में तकनीकी समस्या आने के कारण यह मिशन अधूरा रह गया। मिशन के तहत लॉन्च किया गया EOS-09 (Earth Observation Satellite-09) तय कक्षा Sun Synchronous Polar Orbit (SSPO) में नहीं पहुंच पाया।

क्या था PSLV-C61 मिशन का उद्देश्य?

ISRO का PSLV-C61 मिशन देश की रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को मजबूत करने के मकसद से तैयार किया गया था। इस मिशन के जरिए भेजा गया EOS-09 सैटेलाइट एक अत्याधुनिक ‘सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार’ से लैस था, जो मौसम की किसी भी स्थिति में धरती की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम था।

इस सैटेलाइट का वजन लगभग 1,710 किलोग्राम था और इसका उपयोग कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाना था:

  • सीमा सुरक्षा और घुसपैठ की निगरानी
  • कृषि, वन और जल संसाधनों की ट्रैकिंग
  • आपदा प्रबंधन और पर्यावरण निगरानी
  • सुरक्षा एजेंसियों के लिए इंटेलिजेंस डेटा जुटाना

EOS-09 क्यों था खास?

EOS-09 सैटेलाइट को ISRO ने अपने पूर्ववर्ती सफल EOS-04 की तर्ज पर तैयार किया था। इसकी मदद से देश की सीमाओं पर हो रही गतिविधियों पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा सकती थी। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. डब्ल्यू. सेल्वमूर्ति ने कहा कि यह मिशन सुरक्षा, कृषि, मौसम पूर्वानुमान और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता था।

PSLV-C61 की विफलता का क्या मतलब?

ISRO की ओर से इस मिशन की असफलता को लेकर तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है। PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) अब तक ISRO के सबसे सफल रॉकेट्स में गिना जाता है, लेकिन इस बार तकनीकी बाधा ने इसकी सफलता की रफ्तार को धीमा कर दिया।

हालांकि, ISRO का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वह हर असफलता को सीख और सुधार के अवसर में बदलता है। उम्मीद है कि EOS-09 जैसा मिशन भविष्य में फिर से दोहराया जाएगा और उसमें पूर्ण सफलता प्राप्त की जाएगी।

PSLV-C61 की असफलता ने जरूर झटका दिया है, लेकिन ISRO के पास इससे उबरने की पूरी क्षमता और अनुभव है। EOS-09 सैटेलाइट जैसे मिशन भारत की रक्षा, आपदा प्रबंधन और कृषि निगरानी जैसी क्षेत्रों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं। आने वाले दिनों में ISRO इसकी भरपाई के लिए नए मिशनों की योजना लेकर सामने आ सकता है।

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