
नौकरी के दौरान किसी ईपीएफओ (EPFO) सदस्य की अचानक मृत्यु होने पर परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे मुश्किल समय में यह जानना ज़रूरी है कि नॉमिनी (Nominee) को ईपीएफओ से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं। ईपीएफओ केवल पीएफ (PF) ही नहीं, बल्कि बीमा (Insurance) और पेंशन (Pension) जैसे कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है, जो मृतक सदस्य के परिवार को एक बड़ा आर्थिक सहारा देते हैं।
कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार को मिलने वाले लाभ
कर्मचारी की मृत्यु होने पर, उसके परिवार को सबसे पहले बकाया वेतन और बोनस दिया जाता है। इसमें कर्मचारी द्वारा मृत्यु से पहले काम किए गए दिनों की पूरी सैलरी शामिल होती है। इसके अलावा, यदि कंपनी की नीति में बोनस, परफॉर्मेंस इंसेंटिव या वार्षिक बोनस का प्रावधान है, तो वह राशि भी नॉमिनी या कानूनी वारिस को दी जाती है। कई कंपनियाँ बची हुई छुट्टियों के बदले भी छुट्टी का नकदीकरण (Leave Encashment) करके यह पैसा परिवार को देती हैं।
कर्मचारी की मृत्यु पर EPF बैलेंस क्लेम करने की प्रक्रिया
कर्मचारी की मृत्यु होने पर, उसके EPF खाते में जमा पूरी राशि, जिसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों का योगदान (ब्याज सहित) शामिल होता है, नॉमिनी (Nominee) को मिल जाती है। यदि खाते में नॉमिनी का नाम दर्ज है, तो क्लेम EPFO की वेबसाइट से ऑनलाइन या “कम्पोजिट क्लेम फॉर्म (मृत्यु)” भरकर ऑफलाइन किया जा सकता है। लेकिन अगर नॉमिनी दर्ज नहीं है, तो कानूनी वारिसों को क्लेम करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate) जमा करना ज़रूरी होता है।
मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी के नियम
ग्रेच्युटी एक महत्वपूर्ण लाभ है, और नौकरी के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर यह राशि उसके नॉमिनी को दी जाती है। खास बात यह है कि इस स्थिति में ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए 5 साल तक नौकरी करने की शर्त लागू नहीं होती है। ग्रेच्युटी की गणना कर्मचारी के अंतिम वेतन और कुल सेवा अवधि के आधार पर की जाती है, जिसका अधिकतम भुगतान ₹20 लाख तक हो सकता है (हालांकि कुछ कंपनियाँ इससे अधिक भी दे सकती हैं)। गणना का फॉर्मूला है: अंतिम सैलरी *15/26* नौकरी के साल।
कर्मचारियों के लिए मुफ्त EDLI जीवन बीमा कवर
कर्मचारियों को ईपीएफ (EPF) के साथ ईडीएलआई (EDLI) बीमा कवर का लाभ भी मिलता है। यह एक मुफ्त जीवन बीमा है, जिसके लिए कर्मचारी को कोई प्रीमियम नहीं देना पड़ता, क्योंकि इसका पूरा खर्च नियोक्ता (Employer) उठाता है। यदि नौकरी के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके नॉमिनी को इस योजना के तहत कम से कम ₹2.5 लाख से लेकर अधिकतम ₹7 लाख तक की बीमा राशि मिल सकती है। यह राशि पिछले 12 महीनों की औसत सैलरी के आधार पर तय होती है, और अच्छी बात यह है कि इसका क्लेम पीएफ क्लेम के साथ ही एक ही प्रक्रिया में किया जा सकता है।
ईपीएस (EPS) के तहत फैमिली पेंशन और उसके नियम
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPF) के तहत फैमिली पेंशन (EPS) परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है। यदि कर्मचारी ने कम से कम 10 साल तक नौकरी की है और वह ईपीएस का सदस्य रहा है, तो उसके निधन के बाद परिवार को मासिक पेंशन मिलती है। यह पेंशन पति या पत्नी को जीवन भर के लिए, जबकि बच्चों को 25 साल की उम्र तक मिलती है। दिव्यांग बच्चों को यह पेंशन आजीवन मिलती है। यदि कर्मचारी अविवाहित था, तो उसके माता-पिता इस पेंशन को पाने के हकदार होते हैं, जिसका उद्देश्य परिवार को नियमित आय देना है।








