
अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने चेतावनी दी है कि सरकारों को अपनी पेंशन योजनाओं के ढांचे पर तुरंत विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि लगातार घटती जन्म दर (Fertility Rate) के कारण, भविष्य में बड़ी संख्या में लोगों को पेंशन देना अस्थिर (Unsustainable) हो जाएगा। सान्याल ने समझाया कि वर्तमान में रिटायर लोगों को पेंशन का भुगतान, मौजूदा काम करने वाले कर्मचारियों पर टैक्स लगाकर किया जाता है। यदि भविष्य में युवा आबादी कम हो जाती है, तो उन्हें न केवल अपना बल्कि रिटायर लोगों का बोझ उठाने के लिए बहुत अधिक टैक्स देना पड़ेगा, जो आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं होगा।
संजीव सान्याल ने दी चेतावनी
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, संजीव सान्याल ने चेतावनी दी है कि देश में ज़्यादा टैक्स का बोझ युवा और मेहनती पीढ़ी को देश छोड़ने या काम न करने पर मजबूर कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर काम करने वाले लोगों पर लगातार ऊँचे टैक्स लगाए जाते रहेंगे, तो वे सवाल करेंगे कि उन्हें यहाँ क्यों काम करना चाहिए? इसके बजाय, वे विदेश जाने या काम करना कम करने का फैसला ले सकते हैं। सान्याल के अनुसार, यह स्थिति एक खतरनाक दुष्चक्र पैदा कर सकती है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं है।
कर्ज और सब्सिडी पर चेतावनी
एक अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी है कि भारत को अपने वित्तीय वादों (Financial Commitments) को लेकर बहुत सावधान रहना चाहिए। उन्होंने सलाह दी है कि देश को कर्ज लेने और तरह-तरह की सस्ती सब्सिडी देने से बचना चाहिए। उन्होंने इसके पीछे कारण बताया है कि इन कर्जों को चुकाने वाली युवा आबादी भविष्य में कम (सिकुड़ती) होगी। उन्होंने कहा कि यूरोप और जापान जैसे देशों में यह समस्या पहले से ही दिखाई दे रही है, जहां आबादी सिकुड़ रही है। उन्होंने आगाह किया कि यह पैटर्न अगले एक दशक में भारत में भी दिखेगा और अंततः यहां की वित्तीय स्थिति को भी प्रभावित करेगा।
भारत में गिरती जन्म दर और भविष्य की कार्यशक्ति
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने भारत की गिरती जन्म दर और अर्थव्यवस्था पर इसके असर को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि भारत में सबसे अधिक बच्चों का जन्म लगभग दो दशक पहले वर्ष 2001 में हुआ था, जब यह संख्या 2.9 करोड़ थी। इसके बाद इसमें तेज़ी से कमी आई है और अब हम 2.3 करोड़ पर आ गए हैं, जो लगातार घट रहा है। सान्याल ने कहा कि 2001 में पैदा हुआ बच्चों का यही बड़ा समूह अब कार्यबल (Workforce) में आ रहा है, जिससे देश को फ़िलहाल जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) का फायदा मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि इसके बाद की पीढ़ी की संख्या नाटकीय रूप से सिकुड़ती जा रही है। उन्होंने तुलना करते हुए बताया कि चीन में अब प्रति वर्ष केवल 90 लाख बच्चों का जन्म होता है।
संस्थानों और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा
जाने-माने अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने चेतावनी दी है कि जन्म दर में लगातार गिरावट कई देशों के लिए एक गंभीर खतरा है, जो सीधे तौर पर संस्थानों को संकट में डाल सकती है। उन्होंने दक्षिण कोरिया का उदाहरण दिया, जहाँ जन्म दर इतनी तेज़ी से घट रही है कि वहाँ कई विश्वविद्यालय, स्कूल और नगरपालिका सेवाएँ चालू रखना मुश्किल हो जाएगा।
सान्याल के अनुसार, भारत के कुछ हिस्सों में भी ऐसे संकेत दिखने लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस समस्या का समाधान किसी भी देश के पास नहीं है; दुनिया में कोई भी देश लगातार अपनी जन्म दर को सफलतापूर्वक बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाया है—न तो चीन, न ही जापान। इसलिए, उनका सुझाव है कि भले ही हम इस मुश्किल समस्या का समाधान न कर सकें, लेकिन कम से कम हमें सभी जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को तुरंत बंद कर देना चाहिए ताकि समस्या और न बढ़े।









