
यदि आप अभी ज़मीन खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो आपको अपनी जेब ज्यादा ढीली करने के लिए तैयार रहना होगा। नए साल के बाद ज़मीन की रजिस्ट्री का शुल्क ढाई से तीन गुना तक बढ़ सकता है, जिससे आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ना तय है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके बाद ज़मीन और मकान की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। इसलिए इस बढ़े हुए शुल्क से बचने के लिए, निबंधन विभाग (Excise and Registration Department) ने सभी जिला अवर निबंधकों को निर्देश दिए हैं कि बचे हुए समय में अपने रजिस्ट्री के काम जल्द से जल्द पूरे कर लें।
ज़िला मूल्यांकन समिति जल्द बढ़ाएगी सर्किल रेट
हाल ही में दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि ज़मीन के बाज़ार मूल्य दर (MVR), जिसे न्यूनतम मूल्यांकन दर या सर्किल रेट भी कहते हैं, में बड़ा बदलाव किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही ज़िला मूल्यांकन समिति एक बैठक करेगी और ज़रूरी कदम उठाने की पहल शुरू कर दी गई है। इसका मतलब है कि ज़मीन की सरकारी दरें जल्द ही बढ़ सकती हैं।
भूमि मूल्यांकन का नया तरीका
विभाग के नए निर्देशों के अनुसार, ज़मीन का मूल्यांकन अब शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से होगा। यह वर्गीकरण वहाँ की सड़कें, बाज़ार और मूलभूत सुविधाओं के विकास को देखकर किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर रिपोर्ट तैयार करने हेतु कमेटियों का गठन किया जाएगा।
ये कमेटियाँ अपनी रिपोर्ट अंचलाधिकारी (CO) को सौंपेंगी, जो इसकी जाँच करके इसे जिला मूल्यांकन समिति को देंगे। यह नया मूल्यांकन बाजार की वास्तविक कीमतों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। चूंकि वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में 2016 और ग्रामीण क्षेत्रों में 2013 के मूल्यांकन पर रजिस्ट्री हो रही है, इसलिए रजिस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी होना लगभग तय है।
MVN लागू होने पर 100% तक बढ़ सकता है रजिस्ट्री खर्च
वर्तमान में जिले के कई क्षेत्रों में सर्किल रेट (MVR) बाज़ार भाव से बहुत कम है, जिससे रजिस्ट्री पर लगने वाला स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस कम होती है। हालांकि, जैसे ही नया MVN लागू होगा, रजिस्ट्री करवाने का खर्च सीधे 30% से 100% तक बढ़ सकता है। इस बदलाव के लिए उन इलाकों की सूची सबसे पहले तैयार की जाएगी, जहाँ मौजूदा बाज़ार भाव और पुराने सर्किल रेट के बीच सबसे अधिक अंतर है।









