
मुंगेर से भागलपुर के बीच प्रस्तावित मरीन ड्राइव (Marine Drive) के निर्माण का काम जल्द ही शुरू होने वाला है। मंगलवार को बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BSRDCL) की टीम ने जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव (LAP) जिला प्रशासन को सौंप दिया है। BSRDCL के अधिकारियों ने बताया कि अगले 15 दिनों के भीतर ज़मीन अधिग्रहण (Land Acquisition) की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जिला प्रशासन को आधिकारिक पत्र भेज दिया जाएगा।
भू-अर्जन (Land Acquisition) प्रक्रिया की शुरुआत
किसी भी प्रोजेक्ट के लिए अब भू-अर्जन विभाग (Land Acquisition Department) ज़मीन की पहचान करने का काम शुरू करेगा। इसमें जिला प्रशासन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। राजस्व रिकॉर्ड, खाता-खेसरा (Plot details) और ज़मीन की सीमांकन (Demarcation) के आधार पर ही आगे की पूरी प्रक्रिया तय होगी। इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट हो पाएगा कि कितनी ज़मीन सरकारी है और कितनी ज़मीन का अधिग्रहण (Acquisition) करना पड़ेगा।
किसी भी जमीन को अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, सबसे पहले सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस आकलन के दौरान यह देखा जाएगा कि भूमि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले परिवारों, किसानों और छोटे व्यापारियों पर इसका क्या असर पड़ेगा और उनके जीवन में क्या बदलाव आएंगे।
पटना-मुंगेर मरीन ड्राइव के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू
पटना-मुंगेर मरीन ड्राइव के निर्माण का काम अब तेज़ होगा, क्योंकि भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) की प्रक्रिया जल्द ही आधिकारिक रूप से शुरू होने वाली है। पहले 8 किलोमीटर के क्षेत्र का नक्शा नहीं मिल रहा था, जिससे काम अटका हुआ था।
अब नक्शा मिलने के बाद, SIA की रिपोर्ट के आधार पर सेक्शन-11 के तहत अधिसूचना जारी होगी। BSRDCL के अधिकारी अगले सात दिनों के भीतर मुंगेर ज़िला प्रशासन को भी आवश्यक दस्तावेज़ सौंप देंगे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दोनों ज़िलों में निर्माण कार्य एक साथ शुरू होगा, और जैसे-जैसे ज़मीन मिलती जाएगी, काम आगे बढ़ता जाएगा ताकि पूरी परियोजना रुके नहीं। निर्माण के लिए वन और पर्यावरण मंजूरी भी लेनी होगी।
दोनों जिलों के लिए सभी प्रक्रियाएं समान
- राजस्व सर्वे
- भूखंड चिह्नांकन
- सार्वजनिक आपत्तियां
- सामाजिक प्रभाव आकलन
- मुआवजा निर्धारण
- भू-अधिग्रहण और हस्तांतरण
मरीन ड्राइव परियोजना की तैयारी पूरी
मरीन ड्राइव परियोजना के लिए कार्य करने वाली एजेंसी का चयन निविदा प्रक्रिया (टेंडर) पूरी होने के बाद कर लिया गया है। अब जमीन मिलते ही (प्रशासन द्वारा हस्तांतरण) फील्ड में मशीनें और मज़दूर लगा दिए जाएंगे। विभाग ने अभी शुरुआती काम जैसे कि सर्वे, माप-जोख और रास्ते का नक्शा तैयार कर लिया है। अधिकारियों के अनुसार, वन विभाग को औपचारिक पत्र भेज दिया गया है और पर्यावरण की मंज़ूरी के लिए तकनीकी रिपोर्ट भी जल्द ही जमा की जाएगी। इन मंज़ूरियों के मिलते ही निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू हो सकेगा।
दो चरणों में निर्माण
- पहला चरण : सफियाबाद से सुल्तानगंज (35 किमी)
- दूसरा चरण : सुल्तानगंज से सबौर (40.80 किमी)
लागत
- पहले चरण: 4450.17 करोड़ रुपये
- दूसरे चरण : 3842.48 करोड़ रुपये









