
देशभर के बैंकों ने अब खाताधारकों के वेरिफिकेशन के तरीके में बड़ा बदलाव किया है। नए नियम के तहत, अब ऑनलाइन वेरिफिकेशन मान्य नहीं होगी। अब हर खाताधारक को बैंक में आकर व्यक्तिगत रूप से (फिजिकली) अपना सत्यापन करवाना होगा। इसके लिए या तो खाताधारक को बैंक बुलाया जाएगा, या फिर रिलेशनशिप मैनेजर सत्यापन के लिए उनके घर भी जा सकते हैं। यह नियम ऑनलाइन खाता खोलने वालों पर भी लागू होगा।
धोखाधड़ी रोकने के लिए बदली पहचान सत्यापन प्रक्रिया
पहचान की चोरी और फर्जी बैंक अकाउंट खुलने के बढ़ते मामलों को देखते हुए, बैंकों ने अब सत्यापन (Verification) के नियमों में बदलाव किया है। अब ऑनलाइन के बजाय भौतिक (Physical) सत्यापन को अनिवार्य किया जा रहा है। भले ही इस कदम से डिजिटल बैंकिंग की गति थोड़ी धीमी होगी, लेकिन धोखाधड़ी और फर्जी खातों पर लगाम कसने के लिए यह आवश्यक है। ICICI बैंक, HDFC बैंक, SBI, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे कई प्रमुख बैंकों ने डिजिटल प्रक्रियाओं पर अस्थायी रूप से कुछ नियंत्रण लगा दिए हैं।
KYC नियमों में सख्ती
अब बैंक अपने ग्राहकों से दस्तावेज़ और वेरिफिकेशन के लिए बैंक की नजदीकी ब्रांच में आने को कह रहे हैं, या फिर बैंक अधिकारी खुद ग्राहक के पास जाकर जाँच कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अगर बैंकों ने अकाउंट खोलते समय KYC (अपने ग्राहक को जानें) नियमों का पालन नहीं किया, तो उन पर जुर्माना लग सकता है।
ICICI बैंक ने तो इंस्टा-अकाउंट खोलने की सुविधा पूरी तरह बंद कर दी है। अब केवल सैलरी अकाउंट ही ऑनलाइन खोले जाते हैं; बाकी तरह के खाते खोलने के लिए बैंक अधिकारी ग्राहक के घर जाकर प्रक्रिया पूरी करते हैं।
डिजिटल धोखाधड़ी के बाद बैंक खातों के नियम सख्त
साल 2024 में ICICI बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और भारतीय स्टेट बैंक जैसे प्रमुख बैंकों में फर्जी खाते खुलने और धोखाधड़ी से पैसे ट्रांसफर होने के कई मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं के कारण, बैंकों ने अपनी ऑनलाइन खाता खोलने की सेवाओं के नियमों को काफी कड़ा कर दिया है।
अब बैंक शाखाओं को केवल अपने अधिकार क्षेत्र (इलाके) के ही खाते खोलने का निर्देश दिया गया है; दूसरे इलाकों के खाते संबंधित ब्रांच ही खोलेगी। डिजिटल बैंकिंग धोखाधड़ी बढ़ने के कारण, अब बचत खाता खोलने पर भी कड़ा वेरिफिकेशन (सत्यापन) अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पहले बैंक मुख्य रूप से चालू और बचत खातों को आसान लक्ष्य के रूप में खोलते थे।








