
भारत में करोड़ों लोग खेती से अपनी रोज़ी कमाते हैं। लेकिन इनमें एक बड़ा हिस्सा ऐसे किसानों का है जो छोटी जोत पर खेती करते हैं या किसी और की जमीन पर मेहनत करते हैं। ऐसे किसानों की आमदनी सीमित होती है और अक्सर खर्च पूरे करना मुश्किल पड़ जाता है। इसी आर्थिक मदद के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) शुरू की थी।
क्या है पीएम किसान योजना?
इस स्कीम के तहत पात्र किसानों को सालाना ₹6,000 की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह रकम तीन बराबर किस्तों में सीधे उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है। अब तक 21 किस्तें जारी हो चुकी हैं और लाखों किसान इससे लाभ ले रहे हैं। पर एक सवाल जो अक्सर लोगों को भ्रमित करता है क्या वे किसान जो खुद की जमीन न होने के बावजूद दूसरों के खेत में खेती करते हैं, इस योजना का लाभ ले सकते हैं?
दूसरों की जमीन पर खेती करने वालों के लिए नियम
सरकार के नियम इस मामले में पूरी तरह स्पष्ट हैं। पीएम किसान योजना की पात्रता किसान की जमीन के मालिकाना हक (ownership) पर निर्भर करती है। अगर कोई व्यक्ति बटाईदार या किरायेदार के रूप में दूसरे की जमीन पर खेती करता है, तो उसे इस योजना का फायदा नहीं मिल सकता।
इसका कारण यह है कि इस स्कीम की पूरी प्रक्रिया रेवेन्यू रिकॉर्ड (राजस्व अभिलेख) पर आधारित है। जब तक जमीन सरकारी रिकॉर्ड में किसान के नाम दर्ज नहीं होगी, वह “पात्र किसान” की सूची में नहीं आएगा। कई लोग यह मान लेते हैं कि खेत में लगातार काम करने और खेती करने से वे भी किसान कहलाते हैं, लेकिन पीएम किसान योजना के लिए “ज़मीन का मालिक होना” ही मुख्य शर्त है।
अपवाद – अगर जमीन का थोड़ा हिस्सा भी है
अगर कोई बटाईदार या मजदूर अपनी थोड़ी सी भी जमीन का मालिक है, तो वह अपनी ही जमीन के आधार पर इस योजना का हिस्सा बन सकता है। मतलब यह कि चाहे जमीन का साइज छोटा ही क्यों न हो, अगर वह आपके नाम रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज है, तो आप इसकी सहायता पा सकते हैं।
पर जिन किसानों के पास खेती करने के लिए अपनी जमीन नहीं है — यानी जो पूरी तरह दूसरे की जमीन पर काम करते हैं, उन्हें पीएम किसान योजना का लाभ नहीं दिया जाता।
कौन से किसान आते हैं इस योजना के दायरे में
इस योजना का मकसद उन किसानों को सहारा देना है जिनके पास अपनी कृषि योग्य (cultivable) भूमि है। यह फर्क नहीं पड़ता कि उनकी जमीन बड़ी है या छोटी, योग्यता जमीन के स्वामित्व से जुड़ी है, साइज से नहीं।
इसलिए निम्न वर्ग के किसान लाभ पा सकते हैं:
- जिनके नाम पर कृषि योग्य भूमि दर्ज है।
- सीमांत और छोटे किसान।
- बुजुर्ग किसान जिनकी मुख्य आय खेती से आती है।
- वे किसान जिनके परिवार की इनकम पूरी तरह खेती पर निर्भर है।
जरूरी दस्तावेज और प्रोसेस
पीएम किसान योजना में लाभ पाने के लिए कुछ डॉक्युमेंट्स और प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं:
- जमीन आपके नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होनी चाहिए।
- बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए।
- ई-केवाईसी (e-KYC) प्रक्रिया पूरी करनी जरूरी है।
- भूमि सत्यापन (land verification) अपडेट होना चाहिए ताकि रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी न रहे।
अगर किसी किसान के नाम पर जमीन है लेकिन उसने रेवेन्यू रिकॉर्ड अपडेट नहीं कराया या नाम गलत दर्ज है, तो आवेदन में परेशानी आ सकती है।
ध्यान देने वाली बात
अक्सर ग्रामीण इलाकों में परिवारिक जमीन साझा होती है, यानी एक ही खेत पर कई भाइयों या रिश्तेदारों का नाम होता है। ऐसे मामलों में केवल वही व्यक्ति पात्र होता है जिसके नाम पर रेवेन्यू रिकॉर्ड में सही तरीके से हिस्सा दर्ज है। इसके अलावा, अगर किसी किसान के पास गैर-कृषि भूमि है (जैसे घर की भूमि या बिज़नेस के लिए प्लॉट), तो वह इस योजना की पात्रता में नहीं आता।









