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Indian Army Uniform Patent: सेना ने कॉम्बैट यूनिफॉर्म का पेटेंट कराया, अब लगेगा जुर्माना और होगा केस

भारतीय सेना ने अपनी नई डिजिटल कॉम्बैट यूनिफॉर्म को आधिकारिक रूप से पेटेंट करवा लिया है। National Institute of Fashion Technology द्वारा बनाई गई यह थ्री-लेयर वर्दी आधुनिक तकनीक, उच्च आराम और सामरिक उपयोगिता का मिश्रण है। अब इसका डिजाइन पूरी तरह भारतीय सेना की बौद्धिक संपत्ति बन गया है, जिससे किसी भी अनधिकृत नकल या व्यावसायिक प्रयोग पर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

By Pinki Negi

भारतीय सेना ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपनी नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म को आधिकारिक तौर पर पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क के तहत पंजीकृत करा लिया है। यह सिर्फ एक नई वर्दी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान, तकनीकी उन्नति और “Make in India” की भावना का प्रतीक है। रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि यह यूनिफॉर्म अब पूरी तरह भारतीय सेना की बौद्धिक संपत्ति है — यानी बिना अनुमति इसकी नकल, निर्माण या बिक्री करने पर कानूनी कार्रवाई संभव होगी।

नई यूनिफॉर्म कैसी दिखेगी?

इस नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म में डिजिटल प्रिंट डिज़ाइन अपनाया गया है, जो पारंपरिक कैमोफ्लाज पैटर्न से कहीं अधिक उन्नत है। यह देखने में आधुनिक लगती है और साथ ही सैनिकों को जंगल, रेगिस्तान या पहाड़ी इलाकों जैसे विविध इलाकों में बेहतर तरीके से छिपाने (concealment) में मदद करती है। यूनिफॉर्म के रंग संयोजन को भारतीय भूगोल और मिशन आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया है।

डिजाइन और विकास

नई यूनिफॉर्म को दिल्ली स्थित National Institute of Fashion Technology (NIFT) के विशेषज्ञों ने भारतीय सेना के साथ मिलकर तैयार किया है। यह सहयोग दिखाता है कि जब फैशन डिज़ाइन और सुरक्षा की जरूरतें एक साथ आती हैं, तो परिणाम कितना शानदार हो सकता है। यूनिफॉर्म को न केवल आकर्षक लुक बल्कि उपयोगिता पर भी ध्यान देकर बनाया गया है — ताकि सैनिकों को किसी भी मिशन में अधिकतम आराम और दक्षता मिल सके।

तीन परतों वाला सुरक्षा ढांचा

नई वर्दी की एक खासियत है इसका थ्री-लेयर फैब्रिक स्ट्रक्चर। इसमें उन्नत टेक्सटाइल तकनीक का प्रयोग हुआ है, जो गर्मी, ठंड और नमी – तीनों परिस्थितियों में शरीर के तापमान को संतुलित रखती है। इस यूनिफॉर्म की एर्गोनोमिक डिजाइन सैनिकों को ज्यादा फुर्तीला महसूस कराती है, जिससे वे आसानी से दौड़ने, रेंगने और अन्य सामरिक गतिविधियों में सक्षम हो सकें।

आधुनिक युद्ध की ज़रूरतों के अनुरूप

सेना का कहना है कि यह यूनिफॉर्म सिर्फ बाहरी पहनावा नहीं, बल्कि “मॉडर्न सोल्जर सिस्टम” का हिस्सा है। आज का सैनिक टेक्नोलॉजी और स्मार्ट गैजेट्स से लैस है, इसलिए उसकी वर्दी भी उतनी ही एडवांस होनी चाहिए। नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म में छोटे पॉकेट्स और टैक्टिकल प्लेसमेंट ऐसे डिज़ाइन किए गए हैं कि GPS डिवाइस, कम्युनिकेशन रेडियो या मल्टी-टूल्स जैसे उपकरण सहज रूप से रखे जा सकें।

कानूनी सुरक्षा और पेटेंट अधिकार

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अब इस यूनिफॉर्म का डिज़ाइन और पैटर्न भारतीय सेना की विशिष्ट बौद्धिक संपत्ति मानी जाएगी। कोई भी कंपनी या व्यक्ति यदि इसे कॉपी करता है, तो उस पर डिज़ाइन अधिनियम-2000, डिज़ाइन नियम-2001 और पेटेंट अधिनियम-1970 के तहत सख्त कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम न केवल अवैध उत्पादन को रोकता है, बल्कि सेना की पहचान और विशिष्टता की रक्षा भी करता है।

स्वदेशीकरण की दिशा में नया मील का पत्थर

नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म का आगमन भारतीय रक्षा उद्योग के लिए प्रेरणादायक है। “मेड इन इंडिया” वस्त्र न केवल विश्वस्तरीय मानकों पर खरे उतरते हैं, बल्कि इससे घरेलू विनिर्माण को भी प्रोत्साहन मिलेगा। भविष्य में ये यूनिफॉर्म देश की विभिन्न सैन्य इकाइयों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएंगी।

सैनिकों के लिए एक नया अनुभव

पहले जहां यूनिफॉर्म का ध्यान केवल टिकाऊपन पर होता था, अब प्राथमिकता कम्फर्ट और मोबिलिटी पर भी है। सैनिकों ने शुरुआती परीक्षणों के दौरान बताया कि नई यूनिफॉर्म हल्की, breathable और उपयोग में ज्यादा सुविधाजनक है। गर्मी के मौसम में यह शरीर को ठंडा रखती है और ठंड के मौसम में आवश्यक गर्माहट देती है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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