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भारत के इस राज्य में बहुविवाह पर लगा बैन, अब मुसलमान भी नहीं कर पाएंगे एक से ज्यादा शादी, जानें

भारत के एक राज्य ने बहुविवाह (Polygamy) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है! यह एक बड़ा सामाजिक सुधार है जिसके तहत अब मुस्लिम समुदाय के लोग भी एक से अधिक शादी नहीं कर पाएंगे। यह कानून समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें।

By Pinki Negi

भारत के इस राज्य में बहुविवाह पर लगा बैन, अब मुसलमान भी नहीं कर पाएंगे एक से ज्यादा शादी, जानें
बहुविवाह

असम सरकार मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में एक से ज़्यादा शादियों (बहुविवाह) को कानूनी अपराध बनाने वाला एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। यह कदम सदियों पुरानी कुछ परंपराओं पर सवाल खड़ा करता है और राज्य में एक बड़ी बहस छिड़ गई है। अब मुख्य सवाल यह है कि क्या यह नया कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा, और क्या इससे मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी केवल एक ही शादी की अनुमति मिलेगी।

असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध

असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य में बहुविवाह (एक से अधिक विवाह) पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को मंज़ूरी दे दी है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कैबिनेट बैठक के बाद घोषणा की कि ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025’ को मंजूरी मिल गई है और इसे आगामी 25 नवंबर को विधानसभा में पेश किया जाएगा। नए विधेयक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक शादियाँ करता है (बहुविवाह करता है) तो उसे सात साल तक की कठोर कैद और जुर्माने की सज़ा का सामना करना पड़ सकता है।

नए कानून का उद्देश्य

मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया है कि बहुविवाह पर रोक लगाने वाले इस नए कानून का उद्देश्य राज्य में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और समाज में समानता स्थापित करना है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकार ने बहुविवाह की शिकार हुई महिलाओं के लिए एक विशेष ‘मुआवजा कोष’ (Compensation Fund) बनाने का निर्णय लिया है, ताकि उन्हें जीवनयापन के लिए आर्थिक सहायता मिल सके।

CAA का दायरा

मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि यह कानून (CAA) असम के छठी अनुसूची वाले क्षेत्रों और जनजातीय समुदायों पर लागू नहीं होगा, जिसका अर्थ है कि इन इलाकों को इस नियम से छूट दी जाएगी। हालांकि, राज्य के बाकी हिस्सों में यह कानून समान रूप से लागू होगा, जिसमें मुस्लिम समुदाय भी शामिल है।

समान नागरिक संहिता पर मुस्लिम समुदाय में चर्चा

इस नए कदम के बाद राज्य में धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में बहस तेज़ हो गई है। खासकर मुस्लिम समुदाय में यह सवाल उठाया जा रहा है कि यह कानून उनके धार्मिक अधिकारों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इस्लाम धर्म पुरुषों को चार विवाह करने की अनुमति देता है।

असम में विवाह कानून में बदलाव

मुख्यमंत्री सरमा का कहना है कि यह नया कानून समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में एक पहला कदम है, जिसका लक्ष्य सभी नागरिकों को एक ही विवाह कानून के तहत लाना है। उन्होंने यह भी कहा कि 2001 से 2011 के बीच असम की जनसंख्या में आए बदलाव चिंताजनक हैं, क्योंकि इस दौरान हिंदू जनसंख्या वृद्धि दर घटी है, जबकि मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ी है। इस जनसंख्या असंतुलन को देखते हुए, यह कानून एक सामाजिक सुधार के तौर पर लाया गया है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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