
भारत अब पेट्रोल और डीज़ल जैसी पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भर रहने के बजाय एक साफ, सस्ता और आधुनिक विकल्प की ओर बढ़ रहा है ग्रीन हाइड्रोजन। केंद्र सरकार हाइड्रोजन फ्यूल को बढ़ावा देने के लिए एक नई नीति लेकर आ रही है, जो देश को न सिर्फ ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि आने वाले समय में भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक हब भी बना सकती है।
सरकार ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत 2029-2030 तक ₹19,744 करोड़ का विशाल बजट आवंटित किया है। इसका लक्ष्य है देश भर में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें, बसें और कारें चलाना, ताकि पेट्रोल-डीजल का खर्च भी कम हो और प्रदूषण भी।
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ग्रीन हाइड्रोजन क्या है और क्यों ज़रूरी है?
ग्रीन हाइड्रोजन पूरी तरह पर्यावरण-हितैषी ईंधन है। यह सौर या पवन ऊर्जा से तैयार किया जाता है और इसे जलाने पर कोई हानिकारक उत्सर्जन नहीं निकलता। यानी यह जीरो पॉल्यूशन, जीरो कार्बन एमिशन और भविष्य का सबसे सस्ता स्वच्छ ईंधन पैदा करने में मदद करता है।
नीति के बड़े लक्ष्य
सरकार की नई हाइड्रोजन फ्यूल पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य है—
- भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात में वर्ल्ड लीडर बनाना
- पेट्रोल और डीज़ल पर निर्भरता कम करना
- घरेलू ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना
- प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को राहत देना
यह पैसे कहां होंगे खर्च?
सरकार इस बजट का उपयोग मुख्यत हायड्रोजन प्रोडक्शन प्लांट लगाने में, Green ammonia units बनाने में, हाइड्रोजन आधारित ट्रेन, बस, कार और भारी वाहनों के विकास में और रिन्यूएबल एनर्जी से हाइड्रोजन उत्पादन की लागत कम करने में किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में हाइड्रोजन पावर ट्रैन, हाइड्रोजन गाडी, हाइड्रोजन बस फ्लीट, औद्योगिक उपयोग में हाइड्रोजन बॉयलर, Steel, fertilizer और रिफाइनरी सेक्टर में हाइड्रोजन का भारी इस्तेमाल करना है।
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क्या-क्या मिलेंगे Incentives?
नीति के तहत कंपनियों और स्टार्टअप्स को बड़े प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं:
- Renewable power खरीदने की सुविधा
- Inter-State Transmission Charges से 25 साल तक छूट
(30 जून 2025 तक शुरू होने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए) - Hydrogen production units को 15 दिनों में परमिशन
- Export को बढ़ावा देने के लिए logistics और power support
पेट्रोल-डीजल के बजाय हाइड्रोजन फ्यूल अपनाने से देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर में बड़ा बदलाव आएगा।
क्या होंगे आर्थिक फायदे
अभी भारत तेल और गैस आयात पर भारी पैसा खर्च करता है, ग्रीन हाइड्रोजन के आने से इम्पोर्ट बिल घटेगा, घरेलू ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा, India clean energy exporter बन सकता है इसके साथ ही रोजगार और उद्योग तेज़ी से बढ़ेंगे।
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