
भारत में नीम की दातून का इस्तेमाल दांत साफ करने के लिए सदियों से हो रहा है, जिसे लोग टूथब्रश का प्राकृतिक विकल्प मानते हैं। माना जाता है कि नीम न केवल मसूड़ों और दांतों को मजबूत करती है, बल्कि यह दांतों पर जमे पीले प्लाक को भी हटा सकती है। हालांकि नीम में एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के बावजूद, यह जानना ज़रूरी है कि क्या यह वास्तव में दांतों को चमका सकती है ?
नीम की दातून चबाने के फायदे
वरिष्ठ डेंटल सर्जन डॉक्टर भविंदर कौर शिवा के अनुसार, नीम में मौजूद प्राकृतिक तत्व बैक्टीरिया और फंगस को रोकते हैं, जिससे मुंह की बदबू, प्लाक और मसूड़ों के संक्रमण का खतरा कम होता है। नीम की दातून चबाने से मसूड़ों की मालिश होती है, जो उनमें रक्त संचार बढ़ाकर उन्हें मजबूत रखती है। पूरी तरह से प्राकृतिक होने के कारण नीम का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, इसलिए दांतों को साफ रखने और कुछ हद तक पीलापन दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल फायदेमंद है।
हमेशा दातून करने से हो सकता है नुकसान
डेंटल सर्जन बताते हैं कि नीम की दातून का इस्तेमाल कभी-कभी किया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से दाँतों को साफ नहीं कर पाती और दाँतों के बीच फंसा प्लाक या खाना रह सकता है। पुरानी या गंदी दातून से मुँह में संक्रमण का खतरा भी होता है, इसलिए इसे टूथब्रश और फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट का विकल्प नहीं मानना चाहिए, जो दाँतों को सड़न और कैविटी से बेहतर सुरक्षा देते हैं।
नीम की दातून इस्तेमाल करने का तरीका
दाँतों को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा ताज़ी नीम की टहनी का इस्तेमाल करें और हर दिन नई दातून ही उपयोग में लाएँ। दातून के बाद मुँह को अच्छी तरह से साफ़ करें (कुल्ला करें)। इसके अलावा, दिन में दो बार फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट से ब्रश करना भी ज़रूरी है। नीम की दातून और टूथब्रश का यह सही तालमेल आपके दाँतों को मज़बूत और सेहतमंद बनाए रखेगा।








