
हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने एक इंटरव्यू में ये चौंकाने वाला खुलासा किया कि वह आज भी न तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और न ही इंटरनेट से जुड़े किसी कंप्यूटर का। उन्होंने कहा कि वह हमेशा एक ‘स्पाइमैन’ की तरह ही रहते हैं। डोभाल का यह फैसला उनकी सुरक्षा संबंधी प्राथमिकताओं को दर्शाता है, जिसके तहत वह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा की जानकारियों को किसी भी प्रकार की डिजिटल जासूसी या हैकिंग से बचाने के लिए निजी सुविधा से दूर रहते हैं।
नहीं करते मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने बताया कि सुरक्षा कारणों से वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं, और न ही उनके पास कोई फोन है। उन्होंने खुलासा किया कि वह बिना मोबाइल के अपना सारा काम आसानी से कर लेते हैं। लोग भले ही हैरान होते हों, लेकिन वह मानते हैं कि मोबाइल सुरक्षित नहीं है। इसी कारण, वह इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर का उपयोग भी नहीं करते, बल्कि इसे केवल एक टाइपराइटर की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस तरह वह डिजिटल पत्राचार और किसी भी डिवाइस पर निर्भरता से दूर रहते हैं।
डोभाल ने बताया फ़ोन इस्तेमाल नहीं करने की वजह
आज के डिजिटल दौर में जब पूरी दुनिया स्मार्टफोन और इंटरनेट से जुड़ी है, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का यह तरीका उन्हें एक अनोखा रणनीतिकार बनाता है। एक पूर्व जासूस होने के कारण, वह कोई भी डिजिटल निशान नहीं छोड़ते, जिससे उनकी गतिविधियाँ पूरी तरह गोपनीय रहती हैं। उनकी यही कार्यशैली न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि उन्हें भारत के सबसे प्रभावी और गुप्त सुरक्षा रणनीतिकारों में से एक भी बनाती है।
NSA डोभाल की ‘नो-टेक’ रणनीति का रहस्य
साइबर खतरों और जासूसी के इस दौर में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की यह रणनीति एक मास्टरस्ट्रोक मानी जाती है, क्योंकि आज के समय में डिजिटल फ़ुटप्रिंट किसी की भी गोपनीयता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब विश्व स्तर पर डेटा चोरी और साइबर जासूसी की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। डोभाल की यह जीवनशैली स्पष्ट रूप से उनकी पुरानी जासूसी पृष्ठभूमि को दिखाती है, और साबित करती है कि वह तकनीक पर नियंत्रण रखते हैं, न कि तकनीक उन पर हावी होती है।
अजीत डोभाल को कहा जाता है ‘भारत का साइलेंट सेंटिनल’
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को उनकी देशभक्ति, अचूक रणनीति और अप्रत्याशित फैसलों के लिए ‘भारत का साइलेंट सेंटिनल’ कहा जाता है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 का बालाकोट हवाई हमला हो या कश्मीर की सुरक्षा नीतियाँ, उन्होंने हर चुनौती में अपने कर्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। यही वजह है कि लोग उन्हें ‘भारत का 007’ या ‘जेम्स बॉन्ड’ कहते हैं, जो बिना किसी मोबाइल या इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर के भी अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देते हैं।








