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Property Rights New Law: अब पैतृक संपत्ति में हक पाने के लिए पूरी करनी होंगी ये शर्तें, क्या-क्या शर्तें पूरी करनी होंगी? जानें

पैतृक संपत्ति में बेटा और बेटी दोनों को जन्म से समान अधिकार मिलता है। 2005 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम संशोधन के बाद बेटियों को भी बराबर का हक मिला है। यदि संपत्ति अविभाजित है, तो दोनों हिस्सेदार दावा कर सकते हैं। हक से वंचित होने पर 12 साल के भीतर कोर्ट में दावा जरूरी है।

By Pinki Negi

भारतीय समाज में “पैतृक संपत्ति” का मुद्दा हमेशा संवेदनशील और चर्चा का विषय रहा है। बहुत से लोग ये मानते हैं कि संपत्ति का हक केवल पिता की मृत्यु के बाद मिलता है, लेकिन कानून इसके बिल्कुल उलट है। असल में, पैतृक संपत्ति में बेटे और बेटी दोनों का अधिकार जन्म से ही तय हो जाता है — और यही बात हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 के संशोधन के बाद और साफ हो गई है।

पैतृक संपत्ति आखिर होती क्या है?

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) किसे कहते हैं। पैतृक संपत्ति वही होती है जो चार पीढ़ियों से बिना विभाजन के परिवार में चली आ रही हो। यानी दादा, परदादा, पिता और बेटा, इन चार पीढ़ियों के बीच अगर कोई विभाजन नहीं हुआ है, तो वह जमीन या संपत्ति पैतृक मानी जाएगी।

अगर पिता ने अपनी मेहनत से कोई संपत्ति बनाई है, तो वह “स्व-अर्जित संपत्ति” कहलाती है और उस पर उनका पूरा अधिकार होता है। लेकिन पैतृक संपत्ति में ऐसा नहीं होता। उसमें हर संतान का बराबर का हक माना जाता है — चाहे वह बेटा हो या बेटी।

जन्म से अधिकार की शुरुआत

कानून के अनुसार, पैतृक संपत्ति पर बेटा और बेटी दोनों का जन्म से अधिकार होता है। इसका मतलब यह है कि पिता की मृत्यु का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। जैसे ही बच्चा परिवार में जन्म लेता है, वह अपने हिस्से का हकदार बन जाता है। 2005 के Hindu Succession Amendment Act ने बेटियों को भी वह समान दर्जा दिया जो पहले सिर्फ बेटों को मिला था। इस बदलाव से भारत में संपत्ति के अधिकारों में एक बड़ा सामाजिक सुधार हुआ।

बेटी का अधिकार अब बराबर

कई वर्षों तक समाज में यह गलत धारणा रही कि बेटियों का अपनी पिता की पैतृक संपत्ति पर कोई हक नहीं है। लेकिन अब ऐसा नहीं है। 2005 के संशोधन ने साफ किया कि बेटियां अपने पिता की पैतृक संपत्ति में उतनी ही हकदार हैं जितना बेटा। चाहे पिता की मृत्यु कब हुई हो, अगर संपत्ति अविभाजित है, तो बेटी को भी बराबर का हिस्सा मिलेगा।

यदि पहले किसी समझौते या पारिवारिक बंटवारे में बेटी को उसका हिस्सा नहीं मिला था, तो अब वह कोर्ट में जाकर अपना अधिकार मांग सकती है।

अविभाजित संपत्ति की शर्त

पैतृक संपत्ति का दावा तभी मजबूत होता है जब वह “अविभाजित” (Undivided) हो। यानी परिवार में अब तक किसी ने उस संपत्ति का आधिकारिक रूप से बंटवारा नहीं कराया हो। अगर बंटवारा हो गया है, तो वह हिस्सा व्यक्तिगत संपत्ति बन जाता है और उस पर पैतृक संपत्ति का नियम लागू नहीं होता।

कानूनी दावा और 12 साल की सीमा

कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति अपने हक से वंचित रह गया है और उसे संपत्ति से बाहर कर दिया गया है, तो उसे 12 साल के भीतर अदालत में दावा दायर करना होता है। यह अवधि परिसीमा अधिनियम, 1963 के तहत तय की गई है। यानी अगर आप कई सालों बाद मुकदमा दायर करते हैं, तो अदालत उस दावे को स्वीकार करने से इंकार कर सकती है।

इसलिए, हक का दावा करते समय समयसीमा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जितनी जल्दी आप कानूनी प्रक्रिया शुरू करेंगे, उतना बेहतर रहेगा।

वसीयत का महत्व

यहां एक और महत्वपूर्ण बात समझनी चाहिए — पिता अपनी “स्व-अर्जित संपत्ति” किसी को भी वसीयत (Will) के माध्यम से दे सकते हैं। अगर कोई पिता चाहता है कि उसकी कमाई या खरीदी हुई संपत्ति किसी एक बेटे या बेटी को ही मिले, तो वह वसीयत बनाकर ऐसा कर सकते हैं।

लेकिन पैतृक संपत्ति का मामला अलग है। उस पर पिता का अकेले अधिकार नहीं होता, इसलिए वो अपने किसी बच्चे के पक्ष में उसे पूरी तरह वसीयत से नहीं दे सकते। अगर पैतृक संपत्ति देनी है, तो सभी बच्चों की सहमति जरूरी होती है।

पिता की मृत्यु और संपत्ति बंटवारा

अगर पिता की मृत्यु हो जाती है और उन्होंने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो पैतृक संपत्ति का बंटवारा सभी पुत्र-पुत्रियों में बराबर होगा। बेटा, बेटी, विधवा मां — सभी को समान हिस्सा मिलेगा। यह नियम इस उद्देश्य से बनाया गया है कि किसी को भी परिवार से बाहर न किया जाए।

कैसे करें दावा?

पैतृक संपत्ति में अपना हक पाने के लिए कोर्ट में दावा (claim) दायर करना जरूरी होता है। इसके लिए आपको यह साबित करना होगा कि:

  • संपत्ति चार पीढ़ियों से चली आ रही है।
  • उसका विभाजन नहीं हुआ है।
  • आप परिवार के हिस्सेदार हैं।
  • 12 साल की सीमित अवधि के भीतर दावा किया गया है।

अगर यह सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो अदालत आपके हिस्से का आदेश पारित कर सकती है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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