
देश भर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) अनिवार्य करने पर विरोध हो रहा है, जिसके बाद सभी सभी शिक्षक संगठन एकजुट हो गए हैं। अपनी माँगों को मनवाने के लिए, ये शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बड़ा प्रदर्शन करेंगे और “आर-पार की लड़ाई” का ऐलान करेंगे। शिक्षकों ने यह भी स्पष्ट किया है कि ज़रूरत पड़ी तो वे संसद का घेराव करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। इस बड़े प्रदर्शन से पहले, सभी शिक्षक संगठन अपने-अपने राज्यों में लोगों से संपर्क साधकर व्यापक अभियान चलाएंगे।
अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने की बैठक
बुधवार को लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने बैठक की। इस बैठक में, उत्तर प्रदेश के एक दर्जन शिक्षक संगठनों के प्रमुखों और अन्य पदाधिकारियों ने दिल्ली जाने की योजना बनाई। इसमें शामिल सभी संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों को मोर्चा में राष्ट्रीय सह-संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, इन सभी को 25 से 31 अक्टूबर के बीच देश के सभी ज़िलों में शिक्षकों के साथ मीटिंग करने और जनसंपर्क करने का लक्ष्य दिया गया है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा लागू करने पर हो रहा विरोध
आंदोलनकारी शिक्षकों के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी ने एक बैठक में घोषणा की कि शिक्षक केंद्र सरकार द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं। इस नियम का विरोध करने के लिए देश भर के शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली में बड़ी रैली करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) जल्द ही इस नियम में बदलाव नहीं करती है, तो यह आंदोलन और भी बड़ा हो जाएगा। इस दिल्ली प्रदर्शन के ज़रिए शिक्षक अपनी माँग सीधे प्रधानमंत्री तक पहुँचाना चाहते हैं।
24 नवंबर को दिल्ली में रैली
शिक्षकों की एक बैठक में राष्ट्रीय सह-संयोजकों विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि शिक्षकों पर ‘काला कानून’ थोपे जाने से उनमें बहुत गुस्सा है। उन्होंने साफ़ किया कि वे किसी भी हाल में 23 अगस्त 2010 से पहले से काम कर रहे शिक्षकों पर इस नियम को लागू नहीं होने देंगे। इस बैठक में नरेश कौशिक, उमाशंकर सिंह, संजय मिश्रा, दिलीप चौहान, संदीप दत्त, प्रदीप जायसवाल, विवेकानंद आर्य, राम प्रकाश साहू, और राजेंद्र सिंह राठौर जैसे कई सदस्य मौजूद थे।