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Byaj Ka Paisa: हम ब्याज पर पैसे देते हैं, क्या यह पाप है? Premanand Ji महाराज ने क्या कहा जानें

हुत से लोग ब्याज से कमाई करके घर चलाते हैं, लेकिन क्या यह वाकई धर्म के अनुसार सही है? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि इस कमाई से जीवन में क्यों आती है अशांति और कैसे इसे पुण्य में बदला जा सकता है।

By Pinki Negi

Byaj Ka Paisa: हम ब्याज पर पैसे देते हैं, क्या यह पाप है? Premanand Ji महाराज ने क्या कहा जानें
Byaj Ka Paisa: हम ब्याज पर पैसे देते हैं, क्या यह पाप है? Premanand Ji महाराज ने क्या कहा जानें

बहुत से लोग अपना गुज़ारा इस तरह करते हैं कि वे दूसरों को उधार देकर ब्याज वसूलते हैं। कोई निजी साहूकारी करता है, कोई बैंक या फाइनेंस कंपनी से जुड़ा होता है, तो कुछ लोग व्यक्तिगत तौर पर उधारी देकर मुनाफा कमाते हैं। लेकिन अक्सर मन में यह सवाल उठता है – क्या ब्याज की कमाई धर्म के अनुसार सही है, या यह पाप की श्रेणी में आता है?

ब्याज को अधार्मिक क्यों माना जाता है

संतों और धर्मग्रंथों के अनुसार, ब्याज का मतलब है किसी की परेशानी या मजबूरी का लाभ उठाना। जब कोई व्यक्ति आर्थिक कठिनाई में होता है, तब उसकी मदद बिना शर्त करनी चाहिए, लेकिन उससे अधिक वसूलना करुणा के मार्ग से भटकना है।
ऐसी कमाई लंबे समय में सुख देने की बजाय मन की शांति, पारिवारिक एकता और जीवन की संतुलन को प्रभावित करती है। धन बाहरी रूप से बढ़ता दिख सकता है, लेकिन भीतर से यह कलह, रोग और मानसिक तनाव भी ला सकता है।

क्या हर प्रकार का ब्याज गलत है?

जरूरी नहीं कि हर स्थिति में ब्याज लेना अधार्मिक हो। बैंक, क्रेडिट सोसाइटी जैसी व्यवस्थाएं सामूहिक नियम और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत चलती हैं। उनका उद्देश्य केवल लाभ नहीं बल्कि आर्थिक प्रणाली को संचालित रखना है।
लेकिन जब कोई व्यक्ति सिर्फ अपने फायदे के लिए किसी जरूरतमंद को उधार देकर भारी ब्याज लेता है, तब यह निजी लालच और शोषण बन जाता है, जो धर्म के सिद्धांतों के विपरीत है।

ऐसे धन से घर चलाने का प्रभाव

जो घर पूरी तरह ब्याज की आमदनी पर निर्भर होता है, वहां वास्तविक आनंद और संतोष टिकना कठिन माना जाता है। यह पैसा कुछ समय तक सुविधा दे सकता है, लेकिन मन में बेचैनी और रिश्तों में खटास छोड़ जाता है।
यदि आप लंबे समय से इस तरीके से कमाई कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे इसे कम करते हुए धन को पुण्य कार्यों में लगाना बेहतर है – जैसे सेवा, दान या मेहनत से अर्जित आय।

धर्म का मूल सिद्धांत

धर्म यही सिखाता है कि किसी का अहित न हो और करुणा जीवन का आधार बनी रहे। जब हम किसी की आवश्यकता के समय उससे अतिरिक्त लाभ लेते हैं, तो यह कर्म हमारे आध्यात्मिक विकास में बाधा डालता है। मेहनत, ईमानदारी और सेवा से कमाया धन ही स्थायी सुख देता है।

आगे का रास्ता

यदि मन में कभी यह विचार आता है कि ब्याज से कमाई ठीक नहीं है, तो समझ लें कि आत्मा आपको सही दिशा में संकेत दे रही है। बदलाव एक दिन में संभव नहीं, पर धीरे-धीरे इस मार्ग से हटना और आय का स्रोत नैतिक तरीकों में बदलना ही सही कदम है।
किसी की मदद बिना स्वार्थ के करना, शिक्षा या स्वास्थ्य में योगदान देना, ऐसे कार्य हैं जिनसे धन पवित्र बनता है और जीवन में सच्ची प्रसन्नता आती है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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