
भारत सरकार ने कुछ समय पहल ही GST की दरों में कटौती की थी। सरकार अब यह देखना चाहती है कि रोज़मर्रा के ज़रूरी सामानों जैसे – शैंपू और दाल कम कीमत पर मिल रही है या नहीं। सरकार यह तय करना चाहती है कि GST दरों में कटौती का पूरा फायदा आम उपभोक्ताओं तक पहुँचे। जिस वजह से अधिकारियों ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की निगरानी शुरू कर दी है, ताकि यह देखा जा सके कि ये कंपनियाँ कहीं टैक्स कटौती के लाभ को ग्राहकों तक पहुँचने से रोक तो नहीं रही हैं और कीमतों से जुड़े नियमों का सही से पालन कर रही हैं या नहीं।
GST कटौती की निगरानी करेगी सरकार
कई लोगों की शिकायत आ रही है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर GST दरों में कटौती होने के बाद भी चीज़ों की कीमतों में कमी नहीं दिख रही है। जिसके बाद सरकार ने कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों को अनौपचारिक रूप से फटकार भी लगाई है। जब सरकार ने उनसे GST कटौती से पहले और बाद की कीमतों के अंतर के बारे में पूछा, तो कंपनियों ने इसके लिए ‘तकनीकी गड़बड़ी’ का बहाना बनाया।
GST कटौती के बाद 99 % रोज़मर्रा की चीज़ों की कीमतें हुई कम
22 सितंबर 2025 से सरकार ने जरुरी वस्तु पर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो दरें रखी है। जिससे 99 प्रतिशत रोज़मर्रा की चीज़ों की कीमतें कम हो गई हैं। लेकिन अभी तक ये कटौती पूरी तरह से लागू नहीं हुई है। कई कंपनियों ने खुद ही आगे बढ़कर यह घोषणा की है कि वे टैक्स में हुई कटौती का फायदा सीधे ग्राहकों को दे रही हैं।
GST अधिकारियों को दिया निर्देश
9 सितंबर को वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय GST अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह 54 आम इस्तेमाल की वस्तुओं जैसे – मक्खन, शैम्पू, टूथपेस्ट, AC और TV की कीमतों में बदलाव की मासिक रिपोर्ट जमा करें। इन वस्तुओं के अधिकतम खुदरा मूल्य की तुलनात्मक जानकारी पर आधारित पहली रिपोर्ट अब केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) को मंगलवार तक भेजनी होगी। यह कदम इन ज़रूरी चीज़ों की कीमतों पर नज़र रखने के लिए उठाया गया है।