
जैसे की हम सब जानते है कि बाइक और स्कूटर चलते समय हेलमेट पहनना बहुत जरुरी है। लेकिन क्या आप जानते है कि आपके हेलमेट की भी एक ‘उम्र’ होती है? हेलमेट बनाने वाली कंपनी स्टीलबर्ड के एमडी राजीव कपूर के अनुसार, अच्छी कंपनी का हेलमेट सालों तक चल सकता है, वह जल्दी ख़राब नहीं होता है। यदि आपका हेलमेट किसी भी तरह के एक्सीडेंट का शिकार हुआ है, तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए।
बताया जाता है कि एक्सीडेंट के समय हेलमेट के अंदर के हिस्से को नुकसान पहुँचता है, चाहे वह बाहर से अच्छा क्यों न दिखता हो। कई लोग एक्सीडेंट के बाद उस पर टेप लगाकर या अन्य जुगाड़ से उसे ठीक कर लेने है, लेकिन ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
हेलमेट खरीदते समय ध्यान रखने योग्य 4 मुख्य बातें
- हेलमेट का शेल – यह हेलमेट का बाहरी हिस्सा हमेशा मजबूत होना चाहिए। यह सिर को सीधे अटैक से बचाता है।
- वाइजर – वाइजर ISI-मानक वाला होना चाहिए। इसका मतलब है कि यह टूटना नहीं चाहिए और इस पर एक्टिवनेस कोटिंग होनी चाहिए ताकि विजिबिलिटी अच्छी रहे।
- स्ट्रैप या बकल – हेलमेट की स्ट्रैप हुमेशा मजबूत होनी चाहिए। लोकल या खराब क्वालिटी की स्ट्रैप समय के साथ सड़ जाती है, जिससे दुर्घटना के समय हेलमेट निकलने का खतरा रहता है।
- थर्माकोल– हेलमेट के अंदर की सुरक्षा परत यानी थर्माकोल को दबाकर देखें। यह कठोर होना चाहिए; इसमें आपकी उंगली नहीं घुसनी चाहिए, क्योंकि यही हिस्सा आपके सिर को झटके से बचाता है।
सस्ता हेलमेट न ख़रीदे
कभी भी हमें सस्ता हेलमेट नहीं खरीदना चाहिए। हमेशा कंपनी का ब्रांडेड हेलमेट ही लेना चाहिए, क्योंकि नॉन-ब्रांडेड हेलमेट सुरक्षा के लिए सही नहीं होते है। साथ ही हेलमेट खरीदते समय साइज का ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आपके सिर का साइज 58cm है, तो आपको 60cm साइज का हेलमेट खरीदना चाहिए।