
जो भारतीय अमेरिका में नौकरी करने का सपना देखते है, उनके लिए बुरी खबर है। हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए नियम पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अब अमेरिकी कंपनियों को एच-1बी वीज़ा पर विदेशी कर्मचारियों को नौकरी देने के लिए हर साल $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) की वीज़ा फीस देनी होगी। इन नियमों के बदलाव से सबसे ज्यादा असर भारतीय टेक, हेल्थकेयर, और फाइनेंस सेक्टर के कर्मचारियों पर पड़ेगा। क्या आप जानते है कि एच-1बी वीज़ा क्या होता है और इसके क्या फायदे है, तो आइये जानते है. ..
एच-1बी वीज़ा क्या है?
एच-1बी वीज़ा एक अस्थायी (non-immigrant) वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पेशों (specialty occupations) में विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखने की अनुमति देता है। यह उन लोगों के लिए होता है जो किसी खास क्षेत्र में विशेषज्ञता होते है, जैसे – विज्ञान, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, आईटी और वित्त। यह वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को उन विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए देती है, जिनकी उन्हें जरुरत होती है।
एच-1बी वीज़ा के फायदे
एच-1बी वीज़ा विदेशी कर्मचारियों और अमेरिकी कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद होती है।
विदेशी कर्मचारियों के लिए फायदे:
- इस वीजा से विदेशी कर्मचारियों को क़ानूनी रूप से अमेरिका में काम करने और रहने की अनुमति मिलती है।
- इस वीसा की समय अवधि 3 साल की होती है, जिसे अधिकतम छह साल तक बढ़ाया जा सकता है।
- एच-1बी वीज़ा धारक अपने पति/पत्नी और 21 साल से कम उम्र के अविवाहित बच्चों के लिए एच-4 वीज़ा (H-4 visa) के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे वह भी उनके साथ अमेरिका में रह सकते हैं।
- कई एच-1बी वीज़ा धारक बाद में अमेरिका में स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) के लिए आवेदन कर सकते हैं, क्योंकि यह वीज़ा दोहरी मंशा वाला होता है।
अमेरिकी कंपनियों के लिए फायदे:
- H1B Visa से अमेरिका कंपनी दुनिया भर से प्रतिभाशाली और कुशल लोगों को काम पर रखती है, जिससे उनका काम ज्यादा तेजी से बढ़ता है।
- जब अमेरिका में किसी विशेष काम के लिए योग्य कर्मचारी नहीं मिलते, तो यह वीज़ा कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखकर इस कमी को पूरा करने की अनुमति देता है।