उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण और बड़ा बदलाव किया गया है। अब बच्चों को सिर्फ अपने वार्ड (मोहल्ले) के स्कूलों तक ही सीमित नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि वे दूसरे वार्ड के स्कूलों में भी एडमिशन ले सकेंगे। ये नई व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2026-27 से लागू की जाएगी।

क्या है ये नया नियम और क्यों है यह खास?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत, आर्थिक रूप से कमजोर (जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है) परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों की 25% आरक्षित सीटों पर मुफ्त में प्रवेश दिया जाता है। अभी तक ये नियम था कि बच्चे को केवल अपने निवास क्षेत्र वाले वार्ड के स्कूलों में ही दाखिला मिल सकता था।
लेकिन कई बार ऐसा होता था कि किसी वार्ड के सभी स्कूलों की आरक्षित सीटें भर जाती थीं, जिससे उस वार्ड के कई बच्चे दाखिले से वंचित रह जाते थे, भले ही पास के दूसरे वार्डों में सीटें खाली हों। इसी समस्या को दूर करने के लिए ये नया नियम लाया गया है।
कैसे काम करेगी नई व्यवस्था?
RTE के तहत एडमिशन की प्रक्रिया पांच चरणों में पूरी की जाती है। नई व्यवस्था के अनुसार, अगर शुरुआती चार चरणों में किसी बच्चे को अपने वार्ड के किसी भी स्कूल में सीट नहीं मिलती है, तो उसे पांचवें चरण में एक नया विकल्प दिया जाएगा।
पांचवें चरण की आवेदन प्रक्रिया के दौरान, अगर बच्चे के अपने वार्ड के सभी स्कूलों की सीटें भर चुकी हैं, लेकिन किसी दूसरे वार्ड के स्कूल में RTE कोटे की सीट खाली है, तो बच्चे को उस स्कूल में प्रवेश का मौका दिया जाएगा। इससे ये सुनिश्चित होगा कि कोई भी योग्य बच्चा सिर्फ सीट की कमी के कारण अच्छी शिक्षा से वंचित न रह जाए।
ये उन हजारों परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है जो अपने बच्चों को बेहतर निजी स्कूलों में पढ़ाने का सपना देखते हैं। इससे न केवल दाखिले के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि शिक्षा के अधिकार का दायरा भी और व्यापक होगा।