
हाल ही में सरकार ने देश की सुरक्षा के लिए बड़ा फैसला लिया है। भारतीय वायु सेना के लिए सरकार 97 स्वदेशी तेजस फाइटर जेट्स को खरीदने की घोषणा कर दी है। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि बहुत लम्बे समय से वायु सेना में लड़ाकू विमानों की कमी थी इसलिए अब नए विमान सेना में शामिल होंगे। भारत अब दूसरे देशों में अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है।
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लड़ाकू विमानों की हुई कमी!
अभी के समय की बात करें तो वायु सेना अपनी ताकत को और बढ़ाना चाहती है इसलिए उसे 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है। देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए वायु सेना महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वर्तमान में वायु सेना के पास सिर्फ 29 स्क्वाड्रन है। यह एक बड़ी कमी है जिसके लिए वायु सेना के पास 250 से अधिक विमान होने चाहिए। अब सरकार अपने देश के बने तेजस विमानों पर अधिक भरोसा कर रहा है इसलिए वह अब विदेशों के विमान खरीदना कम कर देगा।
विदेश जेट्स से तेजस होगा सस्ता
विदेश जेट्स की लागत की तुलना तेजस से करें तो यह बहुत ही शानदार होने वाला है। सरकार लगभग 1.10 लाख करोड़ में 180 तेजस मार्क-1A जेट्स खरीदने वाली है। इसी प्रकार एक जेट की कीमत का अंदाजा लैग तो यह करीब 611 करोड़ का होने वाला है।
अब अगर हम फ़्रांस से ख़रीदे गए राफेल की बात करें जो कि विदेश है तो इसकी कीमत लगभग 2,000 करोड़ रूपए है। यह एक राफेल की कीमत है। इस तुलना में देखें तो हमारे देश का फाइटर जेट बहुत सस्ता है एक राफेल की कीमत में देश में 4 तेजस फाइटर खरीदें जा सकते हैं। इससे देश कम खर्चे में एक बेहतरीन और शानदार जेट को खरीदेगा और मेक इन इंडिया जैसी पहल को बढ़ावा मिलेगा।
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तेजस की ताकत है बेहतर
एक्सपर्ट का कहना है कि हमारे देश में तेजस ही ऐसा लड़ाकू विमान है जो कि बहुत ही बढ़िया है। यह भारतीय वायु सेना के ही सुखोई-30 से भी कई गुना बेहतर है। फ़िलहाल अभी एक बड़ी समस्या है क्योंकि इन विमानों का निर्माण जल्द नहीं हो पाएगा। क्योंकि देश की सरकारी बड़ी कम्पनी (HAL) बहुत धीमी गति से काम पर लगी हुई है जिससे सप्लाई होने में टाइम लगेगा। वायु सेना को इनकी जरुरत अभी है जिससे वह अपनी ताकत को मजबूत बना सके।
