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सऊदी अरब को बड़ा झटका! यमन के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा, जल्द बन सकता है नया देश

यमन के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ा बदलाव आया है। सऊदी अरब के शांति प्रयासों को झटका देते हुए, STC (दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद) ने इस क्षेत्र और प्रमुख तेल कंपनी पर कब्जा कर लिया है। इस कदम से यमन के विभाजन और एक नया देश बनने की संभावना बढ़ गई है। क्षेत्र के भविष्य पर इसके असर को जानने के लिए पढ़ें।

By Pinki Negi

सऊदी अरब को बड़ा झटका! यमन के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा, जल्द बन सकता है नया देश
सऊदी अरब को बड़ा झटका

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) समर्थित सेना ने दक्षिण यमन के बड़े हिस्सों पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है, जिसके बाद अब एक नया देश बनने की संभावना है। यह एक बड़ा भू-राजनैतिक (Geo-Political) बदलाव है, क्योंकि अगर दक्षिण यमन आज़ादी की घोषणा करता है, तो 1960 के बाद पहली बार यमन दो देशों में बँट जाएगा। पिछले हफ़्ते, सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लगभग 10,000 सैनिक पहले तेल-भंडार वाले क्षेत्र हद्रामौत में, और फिर ओमान सीमा से लगे माराह गवर्नरेट में घुस गए, जो पहले उनके नियंत्रण में नहीं थे।

यमन में STC का बड़ा कब्ज़ा

यह पहली बार हुआ है जब STC (सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल) ने दक्षिण यमन के उन आठ गवर्नरेटों पर कब्ज़ा कर लिया है जो 1960 के दशक में एक आज़ाद देश थे। अब यह पूरी संभावना है कि दक्षिण यमन जल्द ही अपनी आज़ादी का ऐलान कर सकता है। यह घटना सऊदी अरब के लिए एक बड़ा झटका है, जबकि UAE के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। इसी बीच, ओमान की सीमा पर भी तनाव बढ़ गया है; ओमान ने दबाव के कारण अपनी बंद की हुई सीमा को फिर से खोल दिया है।

यमन से सऊदी सेना की वापसी

सऊदी अरब के लिए यह एक बड़ी घटना है। सऊदी अरब, जो पहले यमन में मुख्य बाहरी ताकत था, उसने अब दक्षिणी यमन में अपनी सेनाओं को वापस बुला लिया है। ‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी सेना ने दक्षिणी राजधानी अदन में स्थित प्रेसिडेंशियल पैलेस और एयरपोर्ट से भी अपने सैनिकों को हटा लिया है। इसका मतलब है कि संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा मान्यता प्राप्त यमन सरकार की जिन सेनाओं का सऊदी अरब समर्थन कर रहा था, उन्हें अब दक्षिण यमन से खदेड़ दिया गया है।

दक्षिण यमन को अलग करने पर राजनीतिक जोखिम

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि STC (दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद) का दक्षिण यमन को तुरंत एक अलग देश घोषित करना जोखिम भरा राजनीतिक कदम हो सकता है। ऐसे ही कई मामलों में, जैसे वेस्टर्न सहारा को मोरक्को से अलग होने पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला था, STC को भी असफलता मिल सकती है। इसलिए, STC शायद यह सोचेगा कि उत्तरी यमन से आज़ादी के लिए बीच के रास्ते के तौर पर कोई जनमत संग्रह (Referendum) कराया जाए। फिर भी, दक्षिण यमन का भविष्य अंत में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के फ़ैसले पर ही निर्भर करेगा।

UAE समर्थित पार्टी की जीत

साल 2015 में यमन की राजधानी सना पर हूती विद्रोहियों का कब्ज़ा होने के बाद, दक्षिणी यमन में एक अस्थायी गठबंधन बना था, जिसमें सऊदी अरब की तरफ से समर्थित इस्लाह पार्टी और UAE समर्थित STC (साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल) शामिल थे। यह गठबंधन शुरू से ही अस्थिर था, और अब इसमें UAE समर्थित STC की जीत हुई है। इस बीच, यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी समर्थन के लिए सऊदी अरब जाकर पश्चिमी राजनयिकों से बात कर रहे हैं। उन्होंने STC से दक्षिणी यमन को खाली करने की अपील की है, जिसे STC ने मानने से साफ़ इनकार कर दिया है।

STC का पेट्रोमसीला पर नियंत्रण और यमन का भविष्य

STC (दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद) ने अब हद्रमौत की सबसे बड़ी तेल कंपनी पेट्रोमसीला पर भी नियंत्रण कर लिया है, जिससे उसे बहुत बड़ा आर्थिक फायदा मिलेगा। दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देश हमेशा से यमन को बाँटने के खिलाफ रहे हैं और उन्होंने सऊदी रोडमैप के तहत एक संयुक्त संघीय सरकार (United Federal Government) बनाने का समर्थन किया है। लेकिन, STC के इस कदम और मौजूदा हालात के कारण अब ऐसा संघीय ढाँचा बन पाना मुश्किल लगता है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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