
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, डेनमार्क सरकार ने एक अनोखा कानून बनाया है, जिसे ‘फ्लैटुलेंस टैक्स’ (गायों द्वारा छोड़ी गई गैस पर टैक्स) नाम दिया गया है। 18 नवंबर 2024 को घोषित इस कानून के तहत, 2030 से डेनमार्क के किसानों को अपनी गायों और सूअरों की डकार और गैस उत्सर्जन पर टैक्स देना होगा। शुरुआती तौर पर, 2030 में किसानों को प्रति टन मीथेन पर 300 डेनिश क्रोनर (लगभग ₹24,100) का टैक्स देना होगा, जिसे 2035 तक बढ़ाकर 750 क्रोनर (लगभग ₹10,000) कर दिया जाएगा।
गाय और भैंसों से निकलने वाली गैस पर लगेगा टैक्स
सरकार गाय और भैंसों से निकलने वाली मीथेन गैस पर टैक्स लगाने जा रही है। यह टैक्स मीथेन गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए लगाया गया है। मीथेन एक बहुत ही खतरनाक ग्रीनहाउस गैस है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वायुमंडल के लिए कहीं ज़्यादा नुकसानदायक है। एक गाय हर दिन लगभग 500 लीटर मीथेन छोड़ सकती है। हालाँकि किसानों को एक बड़ी राहत दी गई है: यदि वे पेड़ लगाकर इस उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं, तो उन्हें इस टैक्स में 60% तक की छूट मिल सकती है।
2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 45% की कटौती करना जरुरी
संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, दुनिया भर में जानवरों से होने वाला उत्सर्जन, कुल ग्रीनहाउस गैसों का लगभग 12% है। एक रिपोर्ट बताती है कि अगर हमें इस सदी के पहले आधे हिस्से तक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5∘C तक सीमित करना है, तो 2030 तक मीथेन उत्सर्जन में 45% की कटौती करना बहुत ज़रूरी है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पहले न्यूजीलैंड ने भी 2022 में किसानों पर ऐसा ही टैक्स लगाने की घोषणा की थी, लेकिन किसानों के कड़े विरोध के कारण 2024 में इस योजना को रद्द कर दिया गया था।








