
उत्तरप्रदेश के जिन भी घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हुए है, वहां नए बिजली कनेक्शन भी इन्हीं मीटरों के साथ दिए जाएँगे. लेकिन इस फैसले पर पावर कारपोरेशन का विरोध हो रहा है. उपभोक्ता. परिषद ने इसे असंवैधानिक बताते हुए नियामक आयोग में इसकी शिकायत की है.
बिजली विभाग पर लगा आरोप
यूपी में बिजली विभाग पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के दाम अपनी मर्जी से तय करने का आरोप लगा है. परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली विभाग ने यह फैसला निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए उठाया है. हां ओडिशा में एक किलोवाट का कनेक्शन 4,500 रुपये में मिलता है, वहीं उत्तर प्रदेश में इसके लिए 6,000 रुपये देने पड़ेंगे. वहीं पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग की अनुमति के बिना ही मीटर की कीमतें तय कर दी हैं और इसके लिए कोई टेंडर भी नहीं निकाला गया है, जबकि ये दरें एक कमेटी द्वारा तय की जानी चाहिए.
बढ़ सकती है पुराने प्रीपेड मीटरों की कीमत
बताया जा रहा है कि बिजली विभाग पुराने प्रीपेड मीटरों की कीमतें बढ़ सकती है. यदि यह योजना लागू होती है, तो ग्राहकों को बड़ा झटका लगेगा. अभी ग्राहकों को एक किलोवाट का कनेक्शन 1,032 रुपये में मिलता है, जो की बढ़कर 6,166 रुपये हो सकता है. वहीं पांच किलोवाट के लिए 7,057 रुपये लगते हैं, लेकिन यह कीमत 15,470 रुपये तक हो सकती है.
100 करोड़ रुपये के खरीदने जायेगे मीटर
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने 13 लाख पुराने बिजली मीटर खरीदने के लिए 29 अगस्त को टेंडर जारी किया है, जिस पर लगभग 100 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता हैं. इस पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बात कर रही है, तो फिर पुराने मीटर खरीदने पर इतना पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है? उन्होंने सरकार से इस मामले की तुरंत जांच कराने की मांग की है.